Friday 1 June 2012

किउल के तट पर मिला था भगवान महावीर को ज्ञान


बरहट, निज प्रतिनिधि: आधुनिक संचार क्रांति के दौर में गुगल पर सर्च करें जमुई के चंद बेस्ट स्थलों में पत्नेश्वर स्थान का जिक्र मिलेगा। जी हां अब ये स्थल अहिंसा के पुजारी महावीर की पावन धरती के रूप में विकसित हो रहा है। इस स्थान पर स्थापित महावीर की आदमकद प्रतिमा श्रद्धा का केंद्र बन गया है।
स्वत: खीचें चले आते हैं लोग
मुख्यालय से सटे जमुई-झाझा मुख्य मार्ग पर कटौना पंप स्थित पत्नेश्वर पहाड़ की मनमोहक सुंदरता के बीच भगवान महावीर की चरण स्थापना के साथ आदमकद प्रतिमा बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ कमेटी द्वारा स्थापित किया गया है। पहाड़ की एक चोटी पर भोलेनाथ का मंदिर है तो दूसरे चोटी पर वायरेस। इन दोनों के बीचोबीच जमीन से लगभग 30 फीट की ऊंचाई पर 11 फीट ऊंची भगवान महावीर की संगमरमर की प्रतिमा को देख लोग स्वत: चले आते हैं।
यहीं मिला था ज्ञान
मंदिर के प्रबंधक महेश कुमार जैन बताते हैं कि जैन आगम एवं प्राचीन शास्त्रों में वर्णित भौगोलिक वर्णन के आधार पर आधुनिक विद्वानों ने वर्तमान के जमुई शहर को जृम्भिक ग्राम और किउल नदी को ऋजुकूला नदी प्रमाणित किया है। इसी प्रमाण के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इसी नदी के तट पर भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसी आधार पर बिहार स्टेट जैन तीर्थ क्षेत्र में एक एकड़ जमीन खरीद कैवल्य धाम की स्थापना की है।
बनेगा भव्य मंदिर
प्रबंधक ने बताया कि जल्द ही श्रीमंतों-श्रेष्ठियों के सहयोग से यहां भव्य मंदिर एवं सुविधाओं से लैस धर्मशाला का निर्माण होगा। फिलवक्त भगवान महावीर की जयंती पर उनके पूज्यनीय चरण की स्थापना की पूजा-अर्चना प्रारंभ की गई है। वर्तमान में पांच कमरे एवं एक हाल का धर्मशाला बनकर तैयार है।
बढ़ सकता है आय का स्त्रोत
वैसी परिस्थिति में जबकि जिले में एक भी मनोरंजन पार्क या भाग-दौड़ की जिंदगी में राहत के लिए पार्क नहीं है। ऐसे समय में यदि जिला प्रशासन पत्‍‌नेश्वर पहाड़ को विकसित कर बच्चों का पार्क सहित अन्य संसाधन उपलब्ध करा दे तो यह जिले की आय का श्रोत बढ़ा सकता है। साथ ही जिलेवासियों को छुट्टी बिताने की एक जगह मिल जाएगी तथा बेरोजगारों को रोजगार।

1 comment:

  1. प्राचीन काल से ही जमुई कि धरती शैव सम्प्रदाय का एक प्रमुख केंद्र रहा है , उदाहरण स्वरुप हम देख सकते हैं पत्नेश्वर स्थान , गिधेश्वर , कागेश्वर , महादेव सिमरिया इत्यादि .साथ ही आधुनिक शोध से यह प्रमाणित हो चूका है कि जमुई कि ऐतिहासिक धरती ना सिर्फ शैव सम्प्रदाय , बल्कि जैनों के स्वर्णिम इतिहास का भी प्रत्यक्षदर्शी रहा है , यह बिलकुल जमुईवाशियों के लिए एक गौरवपूर्ण बात है ,

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