Monday 6 February 2017

कभी अपने जमुई जिले पर मेहरबान थी सरकार। अब किसी को फ़िक्र नहीं


बात जब नक्सल प्रभावित जिले के विकास की होती है तो सरकार चाहे दिल्ली की हो या पटना की, चुप्पी साध लेती है। जमुई की धरती से खनिज संपदा दोहन के मामले में सरकार का रूख कुछ ऐसा ही दिख रहा है।
दरअसल झारखंड बंटवारे के बाद जब जमुई में खनिज संपदा का भंडार मिला तो सरकार झूम उठी थी। करमटिया में सोना, मंजोष में लौह अयस्क मिलने के बाद वर्ष 2002 में ऐसा लगा मानो बंटवारे की हीनता झेल रहे बिहार की तकदीर बदल जाएगी। वर्ष 2016 में सरकार एक बार फिर झूमी। झाझा के बामन थानू में जरकोनियम के भंडार का पता चला।


जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया, पटना के प्रोजेक्ट मैनेजर एसके दत्ता ने बताया था कि बामन थानू नामक स्थान में जरकोनियम नामक तत्व की बहुलता है। जरकोनियम की मात्रा काफी अधिक अर्थात 4000 पीपीएस (पार्ट पर मिलियन) पाई गई है। जिसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गई थी। विडम्बना यह है कि इन खनिज संपदा के दोहन को लेकर सरकार अब चिन्तित नहीं दिख रही। मंजोष के लौह अयस्क के लिए ग्लोबल टेंडर नहीं हुआ। जबकि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2016 में ही पांच भू-छेदन कर भूगर्भ पट्टी में लौह अयस्क पता लगाने की योजना बनाई थी।


जमुई में खनिज संपदा पर एक नजर
* सोनो के करमटिया में सोना
* सिकन्दरा के मंजोष में लौह अयस्क
* सोनो खैरा में गोमेद अन्य कीमती पत्थर
* चकाई में रूबी मायका (अबरख)
* झाझा के बामन थानू में जरकोनियम       


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