Tuesday 14 July 2015

फुटपाथ से जेएनयू की छलांग

जमुई। मां के साथ फुटपाथ पर प्लास्टिक के बर्तन बेचकर गुजारा करने वाली श्वेता पहली बार में ही जेएनयू की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है। अब वह अरेबिक भाषा की पढ़ाई करेगी। आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए सुविधाओं की कमी के बीच श्वेता ने सफलता की मुकाम की ओर कदम बढ़ाया है। श्वेता की सफलता पर उसकी मां राधा देवी खुश हैं जो फुटपाथ पर पसीना बहाकर अपनी बिटिया को उड़ने का हौसला दे रही है। चार सदस्यों के परिवार में कोई पुरुष साथ नहीं है जो उसे मदद पहुंचा सके। इसी दुकान के सहारे उसके परिवार का पेट चलता है। स्नातक के प्रथम वर्ष में पढ़ने वाली श्वेता बताती हैं कि पैसे की कमी के कारण वह पढ़ना छोड़ देना चाहती थी। इसी बीच एक दिन सामान बेचने के क्रम में उसकी मुलाकात प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास अध्येता (पीएमआरडीएफ) चिचेन बेनी कीथन से हुई। बातचीत के दौरान श्वेता ने उसे बताया कि वह पढ़कर आईएएस बनना चाहती है। श्वेता की बातें और हौसले ने चिचेन बेनी को काफी प्रभावित किया। फिर श्वेता बेनी की देखरेख में पढ़ने लगी। जिसने उसे कई पुस्तकें उपलब्ध कराई। साथ ही एक बेहतर माहौल दिया। लिहाजा चन्द दिनों में ही श्वेता के हौसले को पंख लग गया। उसने जेएनयू की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। जहां वह अरेबिक भाषा की पढ़ाई करेगी। अपनी सफलता पर फुले नहीं समा रही श्वेता मनव्वर राणा के चंद शब्दों को सुनाती है। किसी के हिस्से में मकां आया .. किसे के हिस्से में दुकां आई.. मैं सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई .. । जिसने मुझे जिन्दगी की कठिनाईयों के बीच पढ़ने का हौसला दिया।