Tuesday 24 July 2012

अपने सैनिकों के हाथों ही मारे गए नोल ढेंगा


निज प्रतिनिधि, (जमुई) सिमुलतला : अपने आस्तित्व को बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रहा है सिमुलतला का नोल ढेंगा राजबाड़ी। कभी सैलानियों का पसंदीदा स्थल होता था राजबाड़ी लेकिन चंद चोरों के कारगुजारी के कारण यह ऐतिहासिक महल अपनी अंतिम गिनती का इंतजार कर रहा है। बंगला के दर्जनों फिल्म की शूटिंग इस महल में हुआ है। जिसमें मुख्य रुप से दादाकीर्ति, भालोवासा , ओरा चार जोन, पोदभूला आदि। स्थानीय लोगों की मानें तो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश भक्तों की गुप्त बैठकों का स्थल भी रहा है यह महल। बंगला देशी राजा नोल ढेंगा कभी आनंद बिहार के लिए यह महल बनवाया था। चारो ओर ऊंची-ऊंची चहारदिवारी से घिरा इस महल में घोड़े, हाथी के रहने के लिए अलग-अलग घर बना है। वहीं महल के अंदर साइड में रसोईया अन्य प्रसाधन के घर भी बने हैं। महल के पूर्व व पश्चिम दिशा में बनी सीढि़यां इस महल को और चार चांद लगाता था लेकिन महल में लगे इंगलैंड के लोहा का बीम ही इस महल के काल के रुप में इसकी लीला समाप्त करने की गाथा लिखी। इस बीम पर क्षेत्र के चोरों की नजर लग गई और फिर क्या देखते-देखते यह महल खंडर में तब्दील हो गया। इसके बाद महल कम भूत बंगला च्यादा नजर आने लगा। वयोवृद्ध एवं सेवा निवृत्त शिक्षक लाल बहादुर सिंह बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से भी च्यादा नोल ढेंगा राजबाड़ी का निर्माण अवधि है। स्वतंत्रता संग्राम में बांका जिले के हीरायडीह के स्वतंत्रता सेनानी बाबू लाल सिंह, हकीम सिंह, छोटे लाल सिंह के अलावा देश के नामी गिरामी स्वतंत्रता सेनानी इस राजबाड़ी में देश की स्वतंत्रता हेतु 1947 से पूर्व गोपनीय बैठक किया करते थे। राजा के मृत्यु के संदर्भ में श्री सिंह बताते हैं कि राजा अपने सैनिक के हाथ से ही मारे गए। क्योंकि राजा फरमान था कि अगर तीन आवाज देने के उपरांत सामने वाला आवाज न दे तो आप गोली चला दीजिए। इसी बीच राजा कहीं से आ रहे थे। महल में प्रवेश करने के दौरान सैनिकों ने तीन बार रूकने का आवाज दिया परंतु राजा ने कोई जवाब नहीं दिया । सैनिकों ने दुश्मन समझकर गोली चा दी और इसी तीन आवाज के चक्कर में राजा की मौत हो गई।  

Sunday 22 July 2012

सब्जी मंडी के रूप में पहचान बना रही सिमुलतला

सिमुलतला, (जमुई) निज प्रतिनिधि : फलों व सब्जियों का एक बड़ा मंडी के रुप में अपनी पहचान बना रहा है सिमुलतला। इन दिनों सिमुलतला के हाट में कटहल की बिक्री जोरों पर है। खरीदार विभिन्न शहरों से सिमुलतला आ रहे हैं। कटहल व्यवसायी भरत यादव, लटन मियां, मो. मुख्तार, बबलू साव, मानिक सिंह आदि कहते हैं कि सिमुलतला का कटहल का अपना एक अलग पहचान एवं स्वाद है। एक किलो से लेकर पचास किलो तक के कटहल सिमुलतला में उपलब्ध है। जिसकी कीमत पांच रुपए से लेकर 150 रुपए तक का है। लखीसराय से आए खरीदार लखन मोकामा के वद्री रतनपुर के उपेन्द्र साव कहते हैं कि हमलोगों के क्षेत्र में कटहल का पेड़ बहुत कम उपलब्ध है इसके अलावा सिमुलतला कटहल का स्वाद ही कुछ अलग है और दाम में भी बहुत किफायती होने के कारण हमलोग यहां से कटहल व अन्य सीजनों में आम, जामुन, पपीता, अमरुद, सब्जियों में सूटी, टमाटर, आलू, प्याज, गोभी बंधा, फूल बैगन आदि सामान ले जाते हैं। सिमुलतला क्षेत्र में आम के कुल 45 प्रजातियां, कटहल के चार-पांच, जामुन के 3-4, पपीता के 2-3, अमरुद के 6-7 के अलावा सब्जियों के दर्जनों प्रजातियां उपलब्ध हैं। सिमुलतला स्टेशन मैदान में सप्ताह के हर एक गुरुवार एवं रविवार के हाट में सूबे के लखीसराय, पटना, मोकमा, देवघर, हाथीदह, खगड़िया, आरा आदि शहरों के व्यापारी यहां से खरीदारी को पहुंच रहे हैं।

रहमत और बरकत का रास्ता खोलता है रमजान


जागरण प्रतिनिधि, जमुई : पवित्र रमजान का महीना प्रारंभ हो चुका है। मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। रोजेदार पांचों वक्त की नमाज अदा कर रहे हैं। शाम में अजान होने के बाद इफ्तार शुरु हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि रमजान के महीने में ईश्वरीय रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं। शुक्रवार की रात्रि चांद के दीदार के साथ ही पवित्र रमजान का महीना शुरु हो गया था। मुसलमान भाई मानते हैं कि सिर्फ भूखा प्यासा रहना ही रोजा नहीं है। रोजे का मतलब बुरी बातों की ओर जाना तो दूर उसके बारे में सोचना भी गुनाह होता है। रमजान में तरावीह पढ़ी जाती है। तरावीह की नमाज 20 रेकअत की होती है जिसे पूरे माह लोग पढ़ते हैं। शहर के मुसलमान कुछ भाई रमजान पर अपनी प्रतिक्रिया कुछ यूं दिया। मो. जैनूल कहते हैं कि रमजान का महीना अल्लाह की इबादत के साथ-साथ रहमत और बरकत के रास्ते भी खोलता है। इस महीने में गलत कार्यो से लोग दूर होते हैं। मो. शमीम खां कहते हैं कि रमजान का रोजा सबों का फर्ज है। रोजा हमें हर बुलाईयों से दूर कर अल्लाह के करीब लाता है। वे कहते हैं कि रोजा हमें अपने मकसद और फर्ज को सिखलाता है। मो. इश्तलाक कहते हैं कि रमजान में इलाकों की रौनक बढ़ जाती है। सेहरी से इफ्तार तक का समय हमें उन गरीबों की याद दिलाता है जो भूख का एहसास करते हैं। इस एहसास को बहुत करीब से अनुभव करना सिखाता है। मो. हरुद्दीन रशीद कहते हैं कि रमजान हमें तप सिखलाता है। रोजा आत्मा में अच्छाई व सदभावना को जगाने की प्रकिया है। रोजा के दौरान हर इंद्रियों को वश में रखना जरुरी है। मो. जमशेद अंसारी कहते हैं कि रमजान की सबसे बड़ी नेअमत कुरान है। रमजान में ही शव-एक क्रद वाली रात आती है जो बेहतरी का होता है। उस रात अल्लाह रहमतों की बरसात करते हैं

Thursday 12 July 2012

आस्था का केंद्र है बूढ़ानाथ शिव मंदिर


निज प्रतिनिधि, गिद्धौर : गिद्धौर बाजार के मुख्य मार्ग से बीस गज की दूरी पर स्थिति प्राचीन बूढ़ानाथ शिव मंदिर आज भी भक्ति व आस्था का केंद्र बना हुआ है यहां सालों भर इस इलाके के सैकड़ों शिवभक्त श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा एवं अराधना में जुटे रहते हैं। खासकर सावन के महीने में सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ लग जाती है तथा हर-हर महादेव की गूंज से सारा वातावरण भक्तिमय हो उठता है। गिद्धौर राज रियासत के सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थापित बूढ़ानाथ शिव मंदिर के बारे में पतसंडा ग्राम के कोई भी बूढ़े या बुजुर्ग यह नहीं बता पा रहे हैं कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना एवं मंदिर का निर्माण किसने करवाया था लेकिन इतना जरुर है कि जो भी शिव भक्त इस शिव मंदिर में आस्था व विश्वाप के साथ आते है उनकी मुरादें पूरी होती है। शिव भक्त 70 वर्षीय नंद कुमार मिश्रा, 65 वर्षीय कारे लाल गुप्ता, 80 वर्षीय नागेश्वर रावत बताते हैं कि यह मंदिर किसने बनवाया यह मेरे बाप-दादा भी नहीं जानते थे कि बूढ़ा नाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ। ग्रामीणों का मानना है कि आज से हजार वर्ष पूर्व इस जंगल में तप कर रहे किसी सिद्ध पुरुष के द्वारा शिवलिंग की स्थापना व बूढ़ानाथ मंदिर का निर्माण किया गया है जो आज भी इस इलाके के लोगों के लिए अखंड विश्वास व श्रद्धा का केन्द्र बना है। 

Monday 9 July 2012

सावन की पहले सोमवारी पर शिवालयों में उमड़ी भीड़



जागरण प्रतिनिधि, जमुई : सावन के पहले सोमवारी पर शिव भक्तों ने भोलेनाथ पर जल चढ़ाया और पूजा-अर्चना कर सर्वमंगल कामना की। कल्याणपुर स्थित किउल नदी के हनुमान घाट से सैकड़ों भक्तों ने जल भरकर महादेव सिमरिया स्थित बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर में जाकर जलाभिषेक किया।
निज प्रतिनिधि बरहट : हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा पत्‍‌नेश्वर धाम गुंजायमान हो गया। शिवभक्त बोलबम के जयघोष के साथ पत्‍‌नेश्वर स्थित शिवालय पर जाकर जलाभिषेक किया।
निज प्रतिनिधि, खैरा : सावन के पहले सोमवारी पर खैरा प्रखंड के सभी शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। शिव भक्तों ने स्नान के बाद भक्तिभाव से भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की। प्रखंड के गिद्धेश्वर स्थान, घनवेरिया शिव मंदिर, खैरा राजवाटी मंदिर, श्रृंगारपुर शिवमंदिर सहित प्रखंड के सभी शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ देखी गई। विशेषकर महिलाओं की शिवालयों में अधिक भीड़ देखी गई। महिलाओं ने उपवास रखकर भगवान शंकर की अराधना की। इस अवसर पर शिवालयों के पास मेला भी लगा।
सिमुलतला, निज प्रतिनिधि: श्रावण की पहली सोमवारी को सिमुलतला क्षेत्र के शिवालयों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। क्षेत्र के कनौदी, ढोढरी, असहना, टेलवा, खुरंडा आदि गांवों के श्रद्धालु सुबह से ही बाबा भोले के पूजा में लीन देखे गए। मुख्य श्रद्धालुओं का भीड़ सिमुलतला बाजार के स्थित मंदिर में देखा गया जहां तड़के से महिला-पुरुष श्रद्धालु पूजा-अर्चना में खड़े दिखे।
निज प्रतिनिधि, चकाई : सावन के पहले सोमवारी पर रामचन्द्रडीह के दुखिया शिवालय पर श्रद्धालुओं ने अजय नदी में जल भर कर भगवान शंकर पर जलाभिषेक किया। इसके अलावा गोला चकाई, पहड़िया बाबा, बेसकीटांड, माधोपुर शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखी गई।
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शिविर में शिवभक्तों की सेवा
जमुई : सोमवार को जनप्रेरणा जमुई द्वारा बाबा धनेश्वर नाथ धाम में कांवरिया सेवा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में श्रद्धालुओं को नींबू-पानी देने के साथ ही उनका प्राथमिक उपचार भी किया गया। शिविर में मधुकर प्रसाद सिन्हा, पूर्व वार्ड आयुक्त भरत राम, मदन मंडल, बासुदेव मांझी, उपेन्द्र रजक, शंकर मंडल, ठाकुर राम, संतोष कुमार आदि ने श्रद्धालुओं के सेवा में योगदान दिया। उनलोगों ने बताया कि अंतिम सोमवारी को विशाल भंडारा का आयोजन किया गया।

Friday 6 July 2012

जमुई की बिटिया पूजा बिहार में टॉपर


निज प्रतिनिधि, झाझा (जमुई) : जमुई जिले की पूजा वर्णवाल ने बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 2012 में प्रथम स्थान लाकर सूबे सहित अपने जिले का नाम रोशन किया है। झाझा शहर के पुरानी बाजार निवासी डॉ. ओंकार वर्णवाल की 18 वर्षीया पुत्री पूजा की इस उपलब्धि से झाझा व जमुई वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। पूजा के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। उसकी मां शशि वर्णवाल अपनी बेटी की उपलब्धि पर फूले नहीं समा रही हैं। इस खुशी के मौके पर सूबे के भवन निर्माण मंत्री दामोदर रावत ने कहा कि नीतीश कुमार ने जो सपना लड़कियों की शिक्षा के लिए देखा है वह अब झाझा-जमुई की धरती पर सच होता दिख रहा है। इसके लिए पूजा व उसके माता-पिता बधाई के पात्र हैं।
झाझा में जन्मी पूजा नर्सरी से क्लास टू तक की पढ़ाई संत जोसेफ में की। डीएवी जामताड़ा में उसने क्लास दो से दस तक की पढ़ाई पूरी की। 10वीं में पूजा ने 96 फीसद और प्लस टू में 88 फीसद अंक हासिल की। इसके अलावा पूजा ने एएफएमसी पूणे, एआईपीएमटी एवं केएमसी मणिपाल की परीक्षा दी थी। उक्त सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हुए बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता में पूरे बिहार की टॉपर रही। पूजा को बधाई देने वालों में जदयू के जिलाध्यक्ष ई. शंभू शरण, डॉ. अभय सिंह, डॉ. रुपा सिंह सहित कई बुद्धिजीवी शामिल हैं। 

Thursday 5 July 2012

लार्ड मिंटो की सवारी के लिए मंगाई थी फोर्ड परफेक्ट कार


जमुई : राज-राजबाड़ाओं की चर्चा हो तो गिद्धौर रियासत की चर्चा जरुर होती है। अब जब गिद्धौर रियासत के अंतिम राजा प्रताप सिंह का निधन हो गया तो उनसे जुड़ी हर बात यहां के लोगों की जुबां पर आ गई। गिद्धौर में बना मिंटो टावर का निर्माण चंदेल वंश के अंतिम राजा प्रताप सिंह के पिता महाराजा चन्द्रचूड़ सिंह ने अंग्रेज शासक लार्ड मिंटो के सम्मान में करवाई थी। वर्ष 1907 में लार्ड मिंटो गिद्धौर आए थे। उस समय राजा ने गिद्धौर स्टेशन से मिंटो टावर तक लगभग दो किमी कालीन बिछवाई थी। शाही बग्गी पर सवार होकर राजा प्रताप सिंह अपने पिता महाराजा चन्द्रचूड़ सिंह के साथ लार्ड मिंटो की अगुवाई की और टावर तक आए थे। उसी दिन महराजा ने सवारी हेतु फोर्ड की नई परफेक्ट कार मंगवाई थी। जिस पर सवार होकर टावर से राजमहल तक महराजा और लार्ड मिंटो आए थे। राजमहल में खड़ी परफेक्ट कार आज महराजा की यादों को ताजा कर रही थी।
राजनीति को गंदा मानते थे महाराजा
वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर महाराजा प्रताप सिंह बांका के सांसद चुने गए थे। संसद में शपथ ग्रहण कर जब वे गिद्धौर पहुंचे तो उनके समर्थकों की भारी भीड़ जुटी थी। शशिशेखर सिंह उर्फ इंदू जी महाराजा के परिवार के रिश्ते में भाई तो थे परंतु दोनों का संबंध मित्रवत था। इंदू जी ने जब महाराजा से पूछा कि संसद में जाने कैसा अनुभव रहा। महाराजा प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा था कि मैं बहुत गंदे काम में फंस गया हूं। राजनीति करना हमें सूट नहीं करता।
मांडा राजा के दबाव में लड़े चुनाव
राजनीति को गंदा मानने वाले महाराजा प्रताप सिंह मांडा के राजा सह पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के दबाव में दुबारा चुनाव लड़े थे। वर्ष 1991 में वे चुनाव लड़कर दुबारा सांसद निर्वाचित हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह उनके समधी थे। अपनी बड़ी पुत्री श्रुति की शादी महाराजा ने वीपी सिंह के लड़के से की थी।
विदेशों में ली थी शिक्षा
महराजा प्रताप सिंह के मामा स्पेन में राजदूत थे। उस समय महाराजा ने इंगलैंड में सीनियर कैम्ब्रीज की शिक्षा ग्रहण की थी। बाद में उनकी शिक्षा लाहौर में हुई। देश बंटवारे के बाद वे इलाहाबाद में स्नातक करने लगे। परंतु राजमाता द्वारा रखे गए लोकल गार्जियन को पट्टी पढ़ाते रहे और बीच में ही पढ़ाई छोड़कर चले आए।
एक हाथ से देते थे भैंसे की बलि
जमुई में गिद्धौर का दुर्गा पूजा अपने-आप में काफी नामी है। दुर्गा पूजा की शुरुआत चंदेल राजवंश के द्वारा ही शुरू की गई थी। राज परिवार के द्वारा पूजा किए जाने के बाद ही अन्य कार्रवाही शुरू होती थी। चंदेल वंश के अंतिम राजा प्रताप सिंह मां दुर्गा के भक्त थे। नवरात्र में वे गिद्धौर में अवश्य रहते थे। पूजा के दौरान भैंसे की बलि चढ़ाई जाती थी। महाराजा प्रताप सिंह एक हाथ से भैंसे की बलि मां दुर्गा को चढ़ाते थे। यह सिलसिला वर्षो तक चलता रहा। आठ वर्ष पूर्व राजमहल के पश्चिम स्थित दुर्गा मंदिर को महाराजा प्रताप सिंह ने कमेटी को सुपुर्द कर दिया था। तब से महाराजा भैंसे की बलि नहीं चढ़ाने लगे।
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महाराजा ने कहा था, मैं अब भी नाबालिग हूं
जमुई: लगभग दस वर्ष पूर्व महाराजा ने कहा था कि मैं अब भी नाबालिग हूं। उनकी बड़ी बेटी श्रूति की दो पुत्रियां राजमहल में खेल रही थी। उसी समय उनसे मित्रवत व्यवहार रखने वाले इंदू जी राजमहल पहुंचे। महाराजा आंगन में एक कुर्सी पर बैठे थे। इंदू जी ने खेलते नतिनियों को देखकर कहा कि अब बूढ़े होने का एहसास हो रहा है। महाराजा ने कहा मैं अब भी नाबालिग हूं। बचपन में पिता के नहीं रहने पर मां का कोर्ट आफ वार्ड्स अब पुत्र कोर्ट आफ वार्ड्स लगा रहा है। इसलिए मैं पहले भी नाबालिग था आज भी नाबालिग हूं।
फोटो 05 जमुई -21
कैप्शन- गिद्धौर रियासत का राजमहल
.. और एक युग का हो गया अंत
-सामाजिक न्याय के पक्षधर थे महाराजा प्रताप
जागरण प्रतिनिधि, जमुई : गिद्धौर राज चंदेल वंश के 27वें राजा महाराजा प्रताप सिंह के निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया। महाराजा प्रताप गिद्धौर रियासत के अंतिम महाराजा थे। सामाजिक न्याय के पक्षधर महाराजा स्व. प्रताप सिंह आमजनों के बीच खासे लोकप्रिय थे। महाराजा के साथ बिताए क्षणों को याद कर शशि शेखर सिंह उर्फ इंदू जी बताते हैं कि महाराजा ने समय को जल्द ही पहचान लिया था। वे सार्वजनिक जीवन जीना पसंद करते थे। वर्ष 1989 में पहली बार जब महाराजा बांका से सांसद चुने गए। और संसद सदस्य के रुप में शपथ ग्रहण के बाद गिद्धौर लौटे तो बैचेन दिखे। शायद उन्हें सांसद बनना रास नहीं आया था। यही वजह था कि महाराजा ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा था कि मैंने गलत रास्ते को चुन लिया। वैसे वक्त में जब संसद बनना राजनीतिक गलियारे में हर किसी का सपना होता है। यद्यपि जमुई व बांका को झारखंड में शामिल करने की लड़ाई भी महाराजा प्रताप सिंह ने लड़ी। राजमहल के बरामदे पर गुमसुम बैठा वृद्ध कैलू महाराजा के साथ बीताए क्षणों को रुंधे गले से बताते हुए कहा कि गरीबों के मसीहा अब दुनिया में नहीं रहे। जाहिर है कि सार्वजनिक जीवन में महाराजा हरेक के सुख-दुख में भागीदार बनते थे। कैलू का बचपन से लेकर अब तक का समय राजमहल में ही बीता। पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए वे बताते हैं कि एक वक्त था राजमाता गिरिजा जीवित थीं। राजमहल में हर दिन साढ़े तीन मन चावल बनता था। और आसपास के हर तबके के लोगों को भोजन कराया जाता था। महाराजा प्रताप इस बात का ख्याल रखते थे कि कोई राजमहल से भूखा न जाए। महाराजा प्रताप अपने पीछे एक पुत्र राजकुंवर राजराजेश्वर सिंह व तीन पुत्रियां श्रुति, प्रमीति व प्रकृति को छोड़ गए।
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गुम हो गया गिद्धौर की सल्तनत का सितारा
निज प्रतिनिधि, सोनो : .. और उनकी आखिरी सांस से खामोश है पूरा गिद्धौर। गिद्धौर की सल्तनत का वो सितारा अब यहां की सरजमी पर कभी नहीं दिखेगा। चार सौ वर्षो के इतिहास के संवाहक रहे गिद्धौर का वह राजभवन गुरुवार को सफेद कबूतरों की उड़ान का गवाह रहा। महाराजा प्रताप सिंह के निधन की खबर से आम वो खास लोग ही आहत नहीं हुए बल्कि राजमहल की हर एक ईट मानो प्रताप के बचपन व उनकी जवानी के दिनों को भुलाकर अब उनकी मौत का मातम मना रही हो। अपने दो दशक के राजनीतिक जीवन में प्रताप सिंह ने कभी राजसी ठाट-बाट का प्रदर्शन नहीं किया। सदा सर्वदा उनके चेहरे पर वही सौम्यता व सादगी दिखी जो आखिरी सांसों तक उनके साथ रही। बांका से सांसद चुने जाने के बाद भी उनकी महत्वाकांक्षा अन्य नेताओं से भिन्न थी। वे बांका व जमुई को झारखंड में शामिल कराने की मांग पर अड़े रहे। वर्ष 1999 में उन्होंने इसी मुद्दे पर जसीडीह में रेल चक्का जाम किया था। 30 मई 1997 को उन्होंने अखंड झारखंड पीपुल्स फ्रंट की स्थापना की 30 मई 1998 को फ्रंट के प्रथम स्थापना दिवस पर शिबू सोरेन के साथ केकेएम कालेज जमुई के मैदान में महती जनसभा को संबोधित किया तथा लोगों से अपील की कि वे जमुई और बांका को झारखंड में शामिल किए जाने को ले आंदोलन को तैयार रहे। अखंड झारखंड पीपुल्स फ्रंट के वरीय नेता लुकस सोरेन के अनुसार राजा साहब ने वर्ष 2003 में लछुआड़ से देवघर तक की नंगे पांव पैदल यात्रा कर जमुई-बांका को झारखंड में शामिल करने की मांग रखी थी। झामुमो नेता जयपाल सिंह द्वारा नक्शे में जमुई-बांका को झारखंड का अंग दिखाया था। प्रताप सिंह इसी आंदोलन जारी रखे हुए थे। वर्ष 2005 में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया। 

चंदेल रियासत के अंतिम महाराजा प्रताप सिंह का निधन


निज प्रतिनिधि, गिद्धौर : गुरुवार को गिद्धौर राज रियासत के अंतिम महाराजा प्रताप सिंह का दिल का दौरा पड़ने के कारण कोलकाता के निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे। उनका जन्म 1935 में हुआ था। पिता चन्द्रचूड़ सिंह के निधन के बाद उनके लालन-पालन का दायित्वपूर्ण कार्य उनकी माता गिरिराज कुमारी ने डेहरी नरेश महाराजा सरनरेन्द्र साह के संगरक्षण में किया था। उनकी शिक्षा इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विद्यालय में हुई। 1938 में राजकुमार प्रताप सिंह नाबालिग होने के कारण गिद्धौर राज कोर्ट आफ वा‌र्ड्स के अधीन रहा किंतु उनकी वंश परम्परा की रक्षा का दायित्व तत्कालीन महारानी राजमाता गिरिराज कुमारी पर आ पड़ी। जब राजकुमार प्रताप सिंह बालिग हुए तो गिद्धौर रियासत के अंतिम समय में ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें महाराज की पदवी देकर नवाजा गया और महाराजा प्रताप सिंह को चंदेल वंशज का अंतिम राजा घोषित किया गया। महाराजा प्रताप सिंह गिद्धौर राज्य रियासत के अंतिम 27वें राजा थे। महाराजा प्रताप सिंह दो बार बांका लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। वे अपने पीछे एक पुत्र राजराजेश्वर सिंह एवं तीन पुत्रियां छोड़ गए हैं। जिनमें सबसे बड़ी पुत्री राजकुमारी श्रुति की शादी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह के पुत्र अजय कुमार सिंह के साथ हुई है तथा परिमिति एवं प्रकृति अविवाहित हैं। फिलहाल महाराजा प्रताप सिंह कोलकाता के आवास 14 मेफेयर स्ट्रीट में प्रवास कर रहे थे। उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को कोलकाता में किया जाएगा। 

Tuesday 3 July 2012

कम वर्षापात में भी अब उपजेंगे खेतों में सोना


बरहट (जमुई) निज प्रतिनिधि: रैन शेड जमुई जिले में मानसून ने कई बार किसानों को छला है। कभी धान का बिचड़ा डालने के पूर्व तो कई बार बिचड़ा डालने के बाद मानसून ने दगा दिया है। ऐसे समय में कृषि विज्ञान केंद्र खादीग्राम ने सीरियल सिस्टम इनीशिएटिव फार साउथ एशिया (सीजा) परियोजना के तहत धान के फसल के लिए एक नई तकनीक का इजाद किया जिसमें 25-30 प्रतिशत पानी की बचत होगी। जिससे कम वर्षापात में भी अब खेतों में सोना उपजेगी। विज्ञान केंद्र ने नई तकनीक से केंद्र प्रक्षेत्र में कोमल 101, एराईज 6444, नाटा मंसूरी एवं संकर एराइज धान के बिचड़े को तैयार किया है।
क्या है नई तकनीक
नई तकनीक बहुत ही सरल है। किसान चाहे तो इस विधि द्वारा बिचड़े को घर के आंगन में भी तैयार कर सकता है। नई तकनीक में नेट पर धान की नर्सरी तैयार कर इसकी सीधी रोपाई मशीन द्वारा खेतों में की जाती है।
कैसे तैयार होती है नर्सरी
इसके लिए 20 मीटर लंबा और 1.2 मीटर चौड़ा बेड तैयार किया जाता है। 8-10 सेंटीमीटर ऊंची इस बेड पर उसी से आकार के पालिथीन मे छोटे-छोटे छिद्र बना बेड पर बिछा दिया जाता है। उसके बार पालिथीन सीट के ऊपर आधा इंच मोटा लोहे या लकड़ी का फ्रेम चारो तरफ से बैठाया जाता है। इस फ्रेम के अंदर मिटटी व बर्मी कम्पोस्ट 4:1 अनुपात में मिलाकर बिछाया जाता है। इस मिश्रण के ऊपर 12 किलो धान के फूले बीज को फैला फुहारे से सिंचाई की जाती है। तीन दिन बाद बेड के किनारे बने नाले से इसकी सिंचाई होती है। इस प्रकार 16 दिन में बिचड़ा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है। जिससे एक एकड़ खेत की बोआई की जा सकती है।
होती है अधिक उपज
विज्ञान केंद्र खादीग्राम के प्रभारी कार्यक्रम समन्वयक ब्रजेश कुमार की माने तो यह नई तकनीक किसानों के लिए काफी लाभप्रद है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष इस विधि का परीक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र में किया गया जिसमें 54.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त हुआ। इस वर्ष जमुई व लखीसराय जिले के कई गांवों में इस विधि का परीक्षण किया जाऐगा।
कम आता है खर्च
इस विधि द्वारा खेती पर कम खर्च आता है। पानी के बचत के साथ-साथ रोपाई में लगने वाले मजदूरों की बचत होती है। साथ ही लाइन में रोपाई होने से निकाई व अन्य सस्य क्रिया भी आसानी से संपन्न हो जाते हैं। सीसा परियोजना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि इस विधि में बिचड़ा से धान की झड़ाई तक का खर्च 13600 प्रति हेक्टेयर आता है। बहरहाल नई तकनीक जमुई जैसे रैनशेड इलाके में किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा और जिले के कृषि को एक नई दिशा की ओर अग्रसर करेगी।  

सरौन काली पूजा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़


जमुई, जागरण प्रतिनिधि: बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध सरौन काली मंदिर की वार्षिक पूजा मंगलवार को मनाई गई। वार्षिक पूजा में बिहार-झारखंड व बंगाल के लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने मां की पूजा-अर्चना की । अजय नदी एवं बड़का आहार के बीचोबीच स्थित मां काली मंदिर सरौन की वार्षिक पूजा में मंगलवार को विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं के सामने मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र कम पड़ गया। सुबह से ही महिला-पुरुष श्रद्धालु बड़का आहर में स्नान कर दंडवत देते हुए मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना करने लगे जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया। पूजा अर्चना के बाद भक्तों द्वारा मनोकामना पूर्ति हेतु बकरे एवं भेड़ों की बलि प्रारंभ हुई जिसमें 8000 बकरों एवं भेड़ों की बलि दी गई। काली पूजा समिति सदस्य हरिकिशोर चौधरी, थानु यादव, बंगटू यादव, दशरथ पांडेय, सुरेश चन्द्र यादव आदि ने बताया कि वार्षिक पूजा की शुरुआत 150 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुई थी जो वर्तमान में वृहत रुप ले चुका है। साथ ही मेला का भी आयोजन किया जाता है। वार्षिक पूजा के बारे में पुरानी किवदंती है कि पूजा के दिन बलि देने के पूर्व मंदिर परिसर में एक सर्प निकलता है। प्रत्येक वर्ष निकलने वाले इस सर्प का जो भक्त दर्शन कर लेते हैं। उसे साक्षात मां काली का दर्शन हो जाता है। सर्प का दर्शन सबको नसीब नहीं होता है। मंदिर परिसर क्षेत्र में भव्य मेला का भी आयोजन किया गया जिसमें भक्तों के मनोरंजन के लिए झूला, तारामाची, मौत का कुआं, कठपुतली, बियाबान कला, रेलगाड़ी, मीनाबाजार एवं बंगाल के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा आरकेस्ट्रा के साथ-साथ आदिवासी नृत्यगीत मुख्य आकर्षण का केन्द्र था।
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पेयजल के लिए तरसे श्रद्धालु
जमुई: सरौन काली मंदिर की वार्षिक पूजा में मंगलवार को श्रद्धालुओं को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ा। एक लाख श्रद्धालुओं के सामने मंदिर परिसर में लगा चापाकल एवं कुआं काफी कम पड़ गया जिससे श्रद्धालु पानी-पीने के लिए परेशान दिखाई पड़े। पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि पीएचईडी विभाग द्वारा पेयजल सुविधा हेतु कोई खास व्यवस्था नहीं की गई थी।
मेला में रहा अफरा-तफरी का माहौल
जमुई: इतने वृहत पैमाने पर आयोजित वार्षिक पूजा एवं मेला में पुलिस प्रशासन द्वारा कोई विशेष पुलिस बल की नियुक्ति नहीं की गई थी जिससे मेले में कई बार अफरा-तफरी का माहौल कायम रहा। पूजा समिति के सुरेशचन्द्र यादव ने बताया कि एक लाख श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए मात्र 10 ग्रामीण लाठीधारी पुलिस को लगाया गया था। पुलिस प्रशासन द्वारा खास पुलिस व्यवस्था नहीं किए जाने से पूजा समिति सदस्यों में नाराजगी देखी गई ।
पाकेटमारों की रही चांदी
जमुई : मेले के दौरान पुलिसिया व्यवस्था नहीं रहने का लाभ उठाते हुए चोर उच्चके एवं पाकेटमारों ने कई लोगों के जेब उड़ाए। जानकारी के मुताबिक गिरीडीह से आयी सुनीता देवी का पर्स सहित चार हजार, देवरी के मनोज शर्मा का घड़ी, सोनो के दिलीप सिंह से मोबाइल उड़ा लिया। इसके अलावे दर्जनों लोगों के जेब कट गए। 

छात्र हुए पास स्कूल हुआ फेल


सोनो, (जमुई) निज प्रतिनिधि: वर्ष 2012 की मैट्रिक परीक्षा के बम्पर रिजल्ट ने उन विद्यालय के छात्रों को खासी मुश्किलों में डाल दिया है जहां सीमित संध्या में नामांकन की शर्ते प्रभावी है। मसलन सोनो प्रखंड के चार उच्च विद्यालयों से इस वर्ष 1248 विद्यार्थियों ने मैट्रिक परीक्षा पास की है। इन चार विद्यालयों में महज 960 सीटें हैं लिहाजा 288 विद्यार्थियों के पास नामांकन की पहली पसंद इंटरस्तरीय परियोजना बालिका उच्च विद्यालय है जबकि छात्रों की पहली पसंद राज्य संपोषित उच्च विद्यालय है। परियोजना के प्रभारी प्रधानाध्यापक रणजीत कुमार का कहना है कि आर्ट्स व साइंस फैकल्टी में उनके यहां सभी सीटें फुल हो गई हैं जबकि राज्य संपोषित उच्च विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरुण देव राय बताते हैं कि यहां विज्ञान संकाय की सभी 120 सीटें फुल हो गई हैं जबकि कला संकाय में नामांकन जारी है। जवाहर उच्च विद्यालय डुमरी राजपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक नीरज कुमार का कहना है कि उनके यहां इस बार 294 विद्यार्थियों ने परीक्षा पास की है जबकि यहां 240 सीटों पर ही नामांकन संभव है। उच्च विद्यालय महेश्वरी के प्रभारी प्रधानाध्यापक महेन्द्र कुमार वर्मा बताते हैं कि उनके विद्यालय से इस वर्ष 141 विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा पास की है जबकि यहां 240 सीटें उपलब्ध हैं। महेश्वरी को छोड़ शेष तीन विद्यालयों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या की तुलना में नामांकन सीटें कम हैं। मसलन प्रत्येक इन विद्यालयों में महज 240 सीटें हैं।
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नामांकन के लिए मारामारी: सीएस कालेज सब पर भारी
-विज्ञान संकाय में सभी 384 सीटें फुल
सोनो : वर्ष 2012 में इंटर परीक्षा के बेहतरीन रिजल्ट के लिए अव्वल रहे स्थानीय चन्द्रशेखर सिंह महाविद्यालय में नामांकन को लेकर विद्यार्थियों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। ज्ञात हो कि वर्ष 2012 में इंटर की परीक्षा में उत्कृष्ट अंकों के साथ उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या यहां अच्छी-खासी रही है। वाणिज्य संकाय को लेकर यह महाविद्यालय पूरे प्रखंड में इकलौता है। कालेज के प्राचार्य प्रो. त्रिभुज प्रसाद सिंह बताते हैं कि उनके यहां कला विज्ञान व वाणिज्य संकाय में प्रति संकाय 384 सीटें हैं। विज्ञान संकाय में सभी सीटों पर नामांकन जारी है। यहां यह बता दें कि प्रखंड में इंटरस्तरीय चार उच्च विद्यालय हैं जहां प्रति विद्यालय 240 सीटें ही उपलब्ध हैं अर्थात चार विद्यालयों में कुल 960 सीटें जबकि सीएस कालेज में तीनों संकायों में 1152 सीटें है। वाणिज्य संकाय की पढ़ाई यहां महज सीएस कालेज में ही होती है। 

विकलांग भाइयों में है कुछ करने का जज्बा

जमुई,जागरण प्रतिनिधि: लोग शरीर से विकलांग हो सकते हैं पर मन से नहीं। ऐसा की कुछ कर दिखाया छात्र अमन और सूरज ने। आवासीय बाल विकास उच्च विद्यालय में पढ़ने वाला दसवीं का छात्र सूरज कुमार एवं नवमीं में पढ़ने वाला छात्र अमन कुमार दोनों भाई पैर से विकलांग हैं लेकिन कक्षा छ: से ही 75 प्रतिशत अंक लाकर सबों को चकित करते रहा है। पढ़ने की अदम्य इच्छा रखने वाला छात्र कहता है कि वह आगे भी इसी तरह हर परीक्षा में अच्छा अंक लाकर राज्य एवं देश का नाम रोशन करुंगा। इनके पिता संतोष प्रसाद सिंह बताते हैं कि दोनों बचपन से ही पढ़ने के प्रति गंभीर हैं और कुछ करने की जज्बा है