Monday 26 September 2011

लंबा इतिहास रहा है गिद्धौर में दुर्ग पूजा का



गिद्धौर, निज प्रतिनिधि : सूबे के एक छोटे से स्थान गिद्धौर में भी सदियों से दशहरा व्यापक रुप से बड़े पैमाने पर मनाया जाता रहा है। इस कस्बे की एतिहासिक व सांस्कृतिक रुप से दो ही पहचान है। एक यहां की पुरानी रियासत तथा दूसरा दुर्गापूजा और दोनों की एक लंबी परम्परा रही है। शैलवालाओं और झरनों से भरे वन प्रांतर के मध्य बसी थी गिद्धौर नगरी। जहां चार शताब्दी से भी अधिक वर्ष पूर्व तत्कालीन राजा ने अलीगढ़ से स्थापत्य से जुड़े राज मिस्त्री को बुलाकर गिद्धौर स्थित दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। तब से जैनागमों में चर्चित पवित्र नदी उच्चवालिया (उलाय नाम से प्रसिद्ध) तथा नागिन नदी के संगम पर बने इस मंदिर में दुर्गा पूजा अर्चना होती आ रही है। गंगा और यमुना सरीखी इन दो पवित्र नदियों में सरस्वती स्वरुपनी दुधियाजोर मिश्रित होती है जिसे आज झाझा रेलवे के पूर्व सिग्नल के पास देखा जा सकता है। इस संगम में स्नान करने के उपरांत हरिवंश पुरान का श्रवण करने से निश्संतान दंपती को गुणवान पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति होती है। नवरात्रा के प्रारंभ होते ही सुदूर अंचल से ब्रह्मा मुहुर्त में इसी पवित्र नदी में स्नान कर नर-नारी दंडवत करते हुए इस मंदिर के द्वार पहुंचकर पूजा-अर्चना करते रहे हैं। चंदेल राजाओं के गिद्धौर राज की इस राजधानी को परसंडा के नाम से भी जाना जाता है। बिहार प्रांत के पूर्वांचल जैनागमों में आए वर्णन के अनुसार यह दुर्गा पूजा के लिए सर्व प्रतिष्ठित स्थल है। दशहरा के अवसर पर यहां के राज्याश्रद्ध मेला में कभी मल्ल युद्ध का अभ्यास, तीरंदाजी, कवि सम्मेलन, नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ करता था। मीना बाजार लगाए जाते थे। हाल के वर्षो में इसकी जगह सर्कस, थियेटर ने ले लिया है। राज्याश्रद्ध इस मेले को चंदेल वंश के उत्तराधिकारी प्रताप सिंह ने जनाश्रत घोषित कर दिया है। दशहरा के पुनीत अवसर पर अतीत को पुर्नजागृत करने के लिए गिद्धौरवासी व पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने गिद्धौर फाउंडेशन गठित कर गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव की रचना की थी। लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद पुन: गिद्धौर सांस्कृतिक महोत्सव की परम्परा थम सी गई है। इस इलाके के हजारों लोग स्वस्थ सांस्कृतिक मनोरंजन से वंचित हो गए हैं।

Sunday 25 September 2011

छात्र-छात्राओं के बीच पोशाक राशि वितरित



जमुई, जागरण प्रतिनिधि : बरहट प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय पेसराहा में प्रधानाध्यापक मो. नौशाद आलम की उपस्थिति में पंचायत समिति सदस्या पार्वती देवी के द्वारा मुख्यमंत्री पोशाक योजना के तहत कुल 104 छात्राओं के बीच 45,600 रुपए की राशि वितरित की गई। इस अवसर पर प्रधानाध्यापक ने सभी छात्र-छात्राओं को उक्त राशि का दुरुपयोग न करने और पोशाक बनवाने का                                 कड़ा निर्देश दिया। मौके पर वार्ड सदस्य ब्रजेश कुमार यादव सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।

32 कृषकों को मिला स्वरोजगार का प्रशिक्षण



जमुई, जागरण प्रतिनिधि : भारतीय स्टेट बैंक के तहत ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के द्वारा कृषकों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मलयपुर स्थित एसबीआइ शाखा भवन में संचालित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें 32 कृषकों की एक टीम बनाकर उन्हें पशुपालन, वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर संस्था के निदेशक तुलसी दास ने बताया कि स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में संस्थान द्वारा यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जमुई प्रखंड कार्यालय से सटे एक एकड़ भू-भाग में शीघ्र ही स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान खोले जाएंगे। शुक्रवार को कृषि वैज्ञानिक ब्रजेश कुमार व वस्तु विशेषज्ञ द्वारा कृषकों को डेयरी, जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। इस मौके पर लीड बैंक प्रबंधक राजीव कुमार सिंह, एसबीआइ खादीग्राम के प्रबंधक महेश प्रसाद, डेयरी फिल्ड आफिसर एके वर्मा व पंकज पासवान भी उपस्थित थे।