Friday 15 February 2013

कुंभ मेले में जुमई की बनी पहचान


कुंभ मेले में जुमई की बनी पहचान
निप्र, सिमुलतला : पूरे देश में कुंभ मेला की चर्चा है। देश ही नहीं विदेश के लोग भी कुंभ स्नान का अमृत पान कर रहे हैं। कुंभ मेले में जुमई की एक अलग पहचान बनी है। कुल 13 आखाड़ों में एक अखाड़ा जुमई के कैलाशानंद ब्रह्माचारी का पंच अग्निय अखाड़ा है। वर्तमान में वे इलाहाबाद कुंभ मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं। 14 फरवरी को बनारस पीठ के शंकराचार्य रामस्वरुपानंद सरस्वती ने इलाहाबाद में ही महामंडलेश्वर उपाधि से उन्हें विभूषित किया गया। सिमुलतला थाना क्षेत्र के पांडेयडीह ग्राम के स्व. बैकुंठ पांडेय एवं स्व. पार्वती देवी के पुत्र कैलाश पांडेय आज कैलाशानंद ब्रह्माचारी के नाम से चर्चित हैं। वे वेद, पुराण, भागवत, कर्मकांड के संरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं। महज 14 वर्ष की उम्र में ज्ञान अर्जित करने के लिए अयोध्या निकल पड़े थे। जाने से पूर्व कैलाश पांडेय ने मां से वादा किया कि ज्ञान प्राप्त कर सर्वप्रथम आपको श्रीमद् भागवत का पाठ सुनाऊंगा। 2005 में शिक्षा अर्जित करने के उपरांत जन्मभूमि पहुंचकर मां व पिता को श्रीमद् भागवत का पाठ सुनाया। माता-पिता भागवत पाठ सुनने के तीन माह के अंदर ही स्वर्ग सिधार गए। कैलाश ने बीएचयू से आयुर्वेद से पीएचडी किया। 2003 में स्वामी गोपालानंद से दीक्षा ली। और सर्वप्रथम सीढ़ीपुर के मंदिर जो राजघाट अयोध्या में है के महंत बने। बाद में सनातन धर्म के कार्यकारिणी अध्यक्ष एवं श्री पंच अग्निय अखाड़ा हरिद्वार के सचिव पद पर भी ये विराजमान हैं। आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, पोलैंड आदि देशों का भी दौरा महंत कैलाशानंद कर चुके हैं।
कैलाशानंद ब्रह्माचारी के संदर्भ में कई जानकारी इनके भतीजे सुनील पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि कैलाशानंद ने जीवन के जो सूत्र बताए हैं वह सदा सत्य वचन बोलें, धर्म के बताए गए मार्ग पर चलें, मानव एकता के लिए कार्य करें, गंगा की रक्षा करें आदि हैं।