Monday 28 November 2016

जमुई के आदिवासी समाज के लोगों की समस्या,हुजूर हमें जंगल से हटाकर शहर में बसा दें

जमुई। हुजूर हम जंगल में नहीं रह सकते हैं। शहर में हमें बसा दें। पुलिस जब भी जंगल जाती है। हमलोगों के साथ मारपीट करती है। जंगल में जीवन जीना दुस्वार हो गया है। सोमवार को यह फरियाद बरहट पंचायत के गुरमाहा जंगल में रहने वाले आदिवासियों ने अनुमंडलाधिकारी से सुनाई। जंगल स्थित गुरमाहा से सटे बिचली टोला, मुसहरी टोला के दर्जन भर महिलाएं व पुरुष तीर-धनुष के साथ पहुंचे। प्रारंभ में लोगों ने जिलाधिकारी के आवास पर पहुंचकर फरियाद सुनानी चाही। जिलाधिकारी के नहीं रहने के कारण अनुमंडलाधिकारी के कार्यालय पहुंच गए। ग्रामीणों ने अनुमंडलाधिकारी विजय कुमार को बताया कि नक्सल अभियान में शामिल सीआरपीएफ व पुलिस सर्च आपरेशन के दौरान बेवजह उन्हें परेशान करती है। नक्सलियों की टोह में लगे जवान उनके साथ मारपीट करते हैं। पुलिस नक्सली के अलावे शराब के बारे में भी जानकारी मांगते हैं। हुजूर हमलोग हमेशा पुलिस के सहयोग में रहते हैं। फिर भी यह ज्यादती क्यों? हमें शहर में बसा दिया जाए। ग्रामीणों ने अनुमंडलाधिकारी से पेंशन राशि नहीं मिलने, पेयजल की समस्या, स्कूल नहीं होने के साथ हर माह जनवितरण प्रणाली का खाद्यान्न नहीं मिलने की शिकायत की। लोगों ने बताया कि गुरमाहा में चापाकल व कुआं नहीं है। वे लोग आहर से प्यास बुझाते हैं। राशन का वितरण नियमित रुप से किया जाए। आवास योजना का लाभ मिले। राजकीय बुनियादी विद्यालय बरहट में लड़कों को पांचवीं कक्षा तक तथा लड़कियों को आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की जाती है। इसके बाद उन्हें घर भेज दिया जाता है। बच्चों को आगे की पढ़ाई की व्यवस्था करने की मांग ग्रामीणों ने की। ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि सर हम घर द्वार, जानमाल व खेत को छोड़कर कहां जाएं। महिलाओं ने पुलिस पर अंकुश लगा की मांग अनुमंडलाधिकारी से की। मौके पर ही अनुमंडलाधिकारी ने जनवितरण प्रणाली दुकानदार को गुरमाहा में राशन वितरण करने का आदेश दिया। साथ ही वृद्धा पेंशन संबंधित मामले को बरहट बीडीओ को भेजने की बात कही। अनुमंडलाधिकारी ने कहा कि सभी शिकायतों का निवारण संबंधित विभाग के पास भेजा जा रहा है। उन्होंने समस्याओं के समाधान करने का आश्वासन दिया। साथ ही प्रतिनिधि मंडल को मंगलवार को जिलाधिकारी से मिलाने का आश्वासन दिया। ग्रामीण वार्ड सदस्य तूफानी राणा, गांगो कोड़ा, शुक्र राणा, कमला देवी, धर्मेन्द्र कोड़ा, पार्वती देवी, आरती, सुदामा देवी, सुमा देवी, जागो कोड़ा, बिजली राव सहित दर्जनों ग्रामीण महिला एवं पुरुष मौजूद थे।

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