Thursday 15 December 2016

नीली क्रांति की राह दिखा रहा जमुई का घनबेरिया गांव


जमुई। कभी पेड़ा के लिए प्रसिद्ध घनबेरिया अब मछली के लिए प्रसिद्ध होने की ओर अग्रसर है। यूं कहें कि श्वेत क्रांति के साथ नीली क्रांति की युगलबंदी होगी। पेड़ा प्रसिद्ध होने के कारण यहां दूर-दूर से लोग पेड़ा खाने के लिए आते हैं। अब आहर-तालाब में मछली पालन कर यहां के युवक मत्स्य पालन से अर्थोपार्जन की दिशा में अग्रसर हैं। इस क्रम में घनबेरिया गांव में सरकारी और निजी आहर-तालाबों को मिलाकर लगभग एक दर्जन से ज्यादा जलाशयों में मत्स्य पालन का काम सफलतापूर्वक किया जा रहा है। मत्स्य पालन में अलग-अलग टोली बनाकर युवक कार्य को अंजाम दे रहे हैं। मत्स्य पालन में अगुवा बने प्रमोद सिंह ने पहले निजी तालाब खुदवाकर मत्स्य पालन का काम शुरू किया। देखादेखी गांव के अन्य युवकों ने समूह बनाकर गांव में जीर्ण-शीर्ण जलाशयों को दुरूस्त कर उसमें मत्स्य पालन का काम शुरू किया है। इन मत्स्य पालकों की एक और बड़ी बात है कि बेटियों की शादी में बाजार से कम दर पर ताजा मछली मुहैया कराने की योजना बनाई है।
जलाशयों की संख्या व रकवा
घनबेरिया गांव के जलवा आहर, बेनसागर, फुटलाही, राजा पोखर, खावा आहर को दुरूस्त किया गया है। इसके अलावा प्रमोद सिंह के लीज की जमीन व निजी जमीन पर तीन तालाब खुदवाए गए हैं। कुल जलाशयों के जल क्षेत्र का रकवा तकरीबन 12 एकड़ से ज्यादा है।
यहां से लाते हैं बीज
मत्स्य पालन में जमुई का मत्स्य विभाग की कोई विश्वसनीयता नहीं होने के कारण युवक बंगाल के नेहाटी से बीज (जीरा) मंगाकर जलाशयों में डालते हैं। बंगाल का नेहाटी मछली बीज का मंडी है।
मछली का किस्म
जलाशयों में मुख्य तौर पर रेहू, कतला, ग्रासकॉर्प, गोल्डन, मिर्गा आदि किस्म की मछलियों का बीज डाला गया है। अलग-अलग किस्म की मछलियां अलग-अलग सतह पर निवास करती हैं। ग्रासकॉर्प तालाब में घास को जमने नहीं देती है और यही उसका आहार होता है।
कहते हैं मत्स्य पालक
मत्स्य पालक प्रमोद सिंह, प्रकाश सिंह, मुकेश कुमार, विकोदर सिंह, आमोद कुमार सहित अन्य ने बताया कि मत्स्य पालन की दिशा में विभाग द्वारा कोई मदद नहीं मिली है। विभाग द्वारा बीज उपलब्ध कराया जाता है लेकिन उसकी गुणवत्ता की शिकायत रही है। जून में हम लोगों ने जलाशयों में बीज डाला। वर्तमान में मछली लगभग 600-700 ग्राम तक हो गई है। मत्स्य पालकों ने बताया कि मछली का बीज वहां से लाना महंगा पड़ता है और करीब पांच सौ रुपये किलो की दर से बीज उपलब्ध होता है।
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निजी तालाब के जीर्णोद्धार की कोई योजना नहीं है। नए तालाब की खुदाई के लिए वांछित कागजात के साथ आवेदन प्राप्त होने पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा। सरकारी तालाब मत्स्य विभाग के अधीन होने पर अन्य सुविधाएं विभाग द्वारा मुहैया कराने की योजना है।
रजनीश कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जमुई।

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