सरौन : जिले के दो युवकों ने ग्लेशियर उड़ान प्रतियोगिता में सफल होकर अपनी
उभरती प्रतिभा को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसके बाद एवरेस्ट पर
पहुंचने की चाहत है। ये दो युवा हैं चकाई के रामसिंहडीह निवासी प्रदीप
कुमार एवं महिसौड़ी के कमलेश उर्फ सोनू। इन दोनों ने हाल ही में हिमालय
पर्वतारोहण संस्थान दार्जीलिंग द्वारा आयोजित राशन ग्लेशियर सेक पीक कब्रु
साउथ एवं कंचनजंघा जिसके बेस कैम्प की ऊंचाई 15000 फीट एवं रेनक पीक की
ऊंचाई लगभग 19000 फीट है में उड़ान भड़कर सफलता हासिल कर जिले का नाम रोशन
किया है। प्रदीप एवं सोनू ने बताया कि वर्ष 2005 से ही नेहरू युवा केन्द्र
जमुई से जुड़कर कई बार ऐडवेंचर कार्यक्रम में भाग ले अनुभव प्राप्त कर
ग्लेशियर उड़ान में सफलता पाई। उक्त उड़ान 14 सितम्बर से प्रारंभ होकर 12
अक्टूबर तक चला। जिसमें देश भर के 70 एवं बिहार के मात्र तीन जिसमें दो
जमुई एवं एक बेगूसराय से हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में बिहार के तीनों
प्रतियोगी ने ए ग्रेड हासिल किया। इन की इच्छा है कि इस विद्या में और
सफलता प्राप्त कर माउंट एवरेस्ट चोटी को फतह करें। लेकिन आर्थिक स्थिति
कमजोर होने के कारण इनलोगों को अपना सर्वोच्च लक्ष्य हासिल करने में
परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदीप एवं सोनू ने कहा कि उन्होंने यह
ठान लिया था कि ग्लेशियर उड़ान में सफलता हासिल करनी है जो कड़ी मेहनत कर
पूरी हो पाई।
Wednesday 31 October 2012
आग के गोले से होगा बिजली का उत्पादन
झाझा : बिजली की समस्या से जूझ रहे झाझा प्रखंड के अम्बा गांव के
ग्रामीण अब आग के गोले से खुद बिजली उत्पादन करेंगे। इनका साथ नावार्ड एवं
शारदा संस्था संयुक्त रुप से दे रही है। आइआइएफ प्रोजेक्ट के तहत नावार्ड
के आर्थिक सहयोग से शारदा संस्था द्वारा जिले के एक मात्र अम्बा गांव में
पावर प्लांट लगाया गया है। इस पावर प्लांट में ईंधन की आवश्यकता नहीं है।
इसे चलाने के लिए सिर्फ आग की आवश्यकता है जो खुद ग्रामीण लकड़ी जलाकर
उत्पन्न करेंगे। उक्त आग से पावर प्लांट में लगाया गया स्टीम इंजन चलेगा।
इसमें लगभग 15 केबी का अल्टरनेटर जोड़ा गया है जो पूरे गांव में तीन सौ घरों
को बिजली मुहैया करेगी।
दीपावली में जगमगाएगा गांव
लगभग 300 घरों की आबादी वाले अम्बा गांव में संभवत: दीपावली से बिजली आपूर्ति कर दिया जाएगा। नावार्ड के टीडीएम संजीव कुमार ने बताया कि पावर प्लांट तैयार हो गया है। सभी घरों में विद्युत तार का कनेक्शन किया जा रहा है। संभवत: दीपावली में प्लांट का संचालन कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांव के विकास के लिए ग्रामीण उन्मुखीकरण कार्यक्रम के तहत यह कार्य किया गया है।
कैसे चलेगा पावर प्लांट
पावर प्लांट को संचालित करने हेतु गांव के ही बारह लोगों की एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ही बिजली कनेक्शन की दर निर्धारित करेगी। इस पर भी कमेटी के सदस्यों की नजर रहेगी। आग उत्पन्न करने के लिए लकड़ी की खरीदारी खुद कमेटी करेगी और पावर प्लांट का संचालन करेगी।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
नावार्ड के टीडीएम संजीव कुमार एवं शारदा डीवीएम शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि जिले का यह एक मात्र पावर प्लांट है। उन्होंने बताया कि इस पावर प्लांट के संचालन हेतु गांव के बीस ग्रामीणों को विगत पांच दिनों से गुजरात से आए मुगरफा प्रकाश द्वारा विशेष ट्रेनिंग दिया जा रहा है। इसके अलावे झाझा प्रखंड के बाबुकुरा, सरैया एवं बुढ़ीखांड़ में जल्द ही लाह उत्पादन की तैयारी की जा रही है। इसके लिए तीस-तीस किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
दीपावली में जगमगाएगा गांव
लगभग 300 घरों की आबादी वाले अम्बा गांव में संभवत: दीपावली से बिजली आपूर्ति कर दिया जाएगा। नावार्ड के टीडीएम संजीव कुमार ने बताया कि पावर प्लांट तैयार हो गया है। सभी घरों में विद्युत तार का कनेक्शन किया जा रहा है। संभवत: दीपावली में प्लांट का संचालन कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांव के विकास के लिए ग्रामीण उन्मुखीकरण कार्यक्रम के तहत यह कार्य किया गया है।
कैसे चलेगा पावर प्लांट
पावर प्लांट को संचालित करने हेतु गांव के ही बारह लोगों की एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ही बिजली कनेक्शन की दर निर्धारित करेगी। इस पर भी कमेटी के सदस्यों की नजर रहेगी। आग उत्पन्न करने के लिए लकड़ी की खरीदारी खुद कमेटी करेगी और पावर प्लांट का संचालन करेगी।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
नावार्ड के टीडीएम संजीव कुमार एवं शारदा डीवीएम शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि जिले का यह एक मात्र पावर प्लांट है। उन्होंने बताया कि इस पावर प्लांट के संचालन हेतु गांव के बीस ग्रामीणों को विगत पांच दिनों से गुजरात से आए मुगरफा प्रकाश द्वारा विशेष ट्रेनिंग दिया जा रहा है। इसके अलावे झाझा प्रखंड के बाबुकुरा, सरैया एवं बुढ़ीखांड़ में जल्द ही लाह उत्पादन की तैयारी की जा रही है। इसके लिए तीस-तीस किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
Sunday 21 October 2012
पट खुलते ही दर्शन को उमड़ी भीड़
जागरण प्रतिनिधि, जमुई : रविवार की संध्या मां दुर्गा का पट खुलते ही
भक्तों का हुजुम उमड़ पड़ा। चारो ओर उत्सवी माहौल कायम हो गया। जमुई स्टेडियम
के मैदान में लोगों ने मेला का आनंद उठाना शुरु कर दिया। रविवार को
श्रद्धालुओं ने माता के सातवें रुप कालरात्रि की पूजा-अर्चना की। कालजयी
शत्रुओं का दमन करने वाली, चंडमुंड का संहार करने वाली और भक्तों को अभय
प्रदान करने वाली मां काली के अधीन सारा संसार है। भगवती की समस्त शक्तियां
इन्हीं के अधीन होती है। आज के पूजा का काफी महत्व होता है।
निज प्रतिनिधि, बरहट के अनुसार रविवार की देर रात माता का दरबार का पट खुला। पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके पूर्व माता का वैदिक मंत्रों के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की गई तथा श्रद्धालुओं के लिए द्वार खोल दिया गया।
निज प्रतिनिधि, सोनो के अनुसार सोनो चौक पर अवस्थित दुर्गा मंदिर पूरी तरह सजधज कर तैयार है। यहां स्थापित माता की प्रतिमा के दर्शन को ले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। मंदिर प्रबंध समिति के महेन्द्र दास बताते हैं कि पिछले चार दशकों से दुर्गा मंदिर में निरंतर प्रतिमा स्थापन कार्य उत्कृष्ट कलाकारों द्वारा किया गया है तथा माता की साज सज्जा व मंदिर की सजावट सामग्री कोलकाता से मंगाई गई थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि हर वर्ष की भांति इस बार भी माता के दर्शन को अपार भीड़ उमड़ेगी।
निज प्रतिनिधि, चकाई के अनुसार रविवार को चकाई, माधोपुर, बामदह में पूजा को लेकर विशेष रौनक दिखी। रविवार सुबह से ही श्रद्धालु भक्त मां की पूजा अर्चना में व्यस्त रहे। वहीं कपड़ा, मिठाई एवं बलि हेतु बड़े पैमाने पर भक्तों ने बकरे की खरीदारी की।
निज प्रतिनिधि, बरहट के अनुसार रविवार की देर रात माता का दरबार का पट खुला। पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके पूर्व माता का वैदिक मंत्रों के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की गई तथा श्रद्धालुओं के लिए द्वार खोल दिया गया।
निज प्रतिनिधि, सोनो के अनुसार सोनो चौक पर अवस्थित दुर्गा मंदिर पूरी तरह सजधज कर तैयार है। यहां स्थापित माता की प्रतिमा के दर्शन को ले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। मंदिर प्रबंध समिति के महेन्द्र दास बताते हैं कि पिछले चार दशकों से दुर्गा मंदिर में निरंतर प्रतिमा स्थापन कार्य उत्कृष्ट कलाकारों द्वारा किया गया है तथा माता की साज सज्जा व मंदिर की सजावट सामग्री कोलकाता से मंगाई गई थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि हर वर्ष की भांति इस बार भी माता के दर्शन को अपार भीड़ उमड़ेगी।
निज प्रतिनिधि, चकाई के अनुसार रविवार को चकाई, माधोपुर, बामदह में पूजा को लेकर विशेष रौनक दिखी। रविवार सुबह से ही श्रद्धालु भक्त मां की पूजा अर्चना में व्यस्त रहे। वहीं कपड़ा, मिठाई एवं बलि हेतु बड़े पैमाने पर भक्तों ने बकरे की खरीदारी की।
मां दुर्गा की अराधना से गुणवान पुत्र की होती है प्राप्ति
गिद्धौर : चार शताब्दी पूर्व स्थापित गिद्धौर का दुर्गा मंदिर बिहार
में पूजा के लिए सर्वप्रतिष्ठित स्थल माना जाता है। यहां पर नवरात्रि के
समयावधि में हर रोज हजारों श्रद्धालु अनंत श्रद्धा व अखंड विश्वास के साथ
माता दुर्गा की प्रतिमा को निहारते हुए प्रार्थना करते हुए नजर आते हैं।
गिद्धौर राज रियासत के तत्कालीन राजा पूरनमल ने 1566 में अलीगढ़ से
स्थापत्य से जुड़े राज मिस्त्रियों को बुलाकर गिद्धौर स्थित दुर्गा मंदिर का
निर्माण विधिवत करवाया था। तब से जैना गमों में चर्चित पवित्र नदी
उज्जुवालिया अब उलाई नाम से प्रसिद्ध तथा नागिन नदी के संगम पर बने इस
मंदिर में दुर्गा की पूजा-अर्चना होती आ रही है। गंगा और यमुना सरीखी इन दो
पवित्र नदियों में सरस्वती स्वरुपणी दुधियाजोर मिश्रित होती है। जिसे आज
झाझा रेलवे के पूर्व सिंगनल के पास देखा जा सकता है। जैनागमों में आए वर्णन
के अनुसार इस संगम में स्नान करने के उपरांत दुर्गा मंदिर में हरिवंश
पुराण का श्रवण करने से नि:संतान दंपती को गुणवान पुत्र रत्न की प्राप्ति
होती है। दशहरा के अवसर पर यहां के राज्याश्रित मेला में कभी मल्ल युद्ध
का अभ्यास, तीरंदाजी, कवि सम्मेलन, नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ करता
था। ऐसा माना जाता है कि उन दिनों गिद्धौर महाराजा आम दर्शन के लिए उपस्थित
होते थे। दूसरी विशेषता यह थी कि इस दशहरा पर तत्कालीन ब्रिटिश राज्य के
बड़े-बड़े अधिकारी भी शामिल होते थे। जिसमें बंगाल के लेफ्टिनेंट गर्वनर
एडेन, एलेक्जेंडर मैकेन्जी, एंड्रफ फ्रेज एडवर्ड बेकर जैसे शासक गिद्धौर
में दशहरा के अवसर पर महाराजा के नियंत्रण पर आते थे। जब राजाश्रित इस मेले
को चंदेल वंश के उत्तराधिकारी ने जनाश्रित घोषित कर दिया तो दशहरा के
पुनीत अवसर पर सांस्कृति महोत्सव को पुनर्जाग्रत करने का कार्य पूर्व
केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह के द्वारा किया गया था लेकिन उनके
आकस्मिक निधन के बाद गिद्धौर निवासी व बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री
दामोदर रावत ने गिद्धौर के ऐतिहासिक धरती पर पुन: सांस्कृतिक महोत्सव को
आयोजित कराने का बीड़ा उठाया गया है।
ऐतिहासिक महत्ता है खैरा के मां दुर्गा की
खैरा : खैरा का दुर्गा मंदिर न केवल ऐतिहासिक है बल्कि इसकी पौराणिक
महत्ता भी है। यहां के दुर्गा मंदिर और दुर्गा पूजा से खैरा प्रखंड के
अलावा जिले व अन्य जिलों के लाखों लोगों की धार्मिक आस्था और मान्यता जुड़ी
है। यही कारण है कि दुर्गा पूजा के अवसर पर लाखों लोग यहां आकर दंडवत देते
हैं और भक्तिभाव से पूजा अर्चना करते हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां तीन
दिवसीय मेला भी लगता है।
200 वर्ष पुराना है मंदिर
खैरा का दुर्गा मंदिर 200 वर्षो से अधिक पुराना है। इसका निर्माण स्व. राजा रावणेश्वर प्रसाद सिंह के पुत्र स्व. गुरुप्रसाद सिंह द्वारा कराया गया था। दुर्गा पूजा के अवसर पर हजारों लोग मध्य रात्रि से ही रानी तालाब में स्नान कर मां दुर्गा को दंडवत देती है।
मन्नतें पूरी होती है
खैरा के दुर्गा मंदिर के प्रति आस्था रखने वाले और भक्तिभाव से पूजन करने वालों की मन्नतें पूरी होती हैं। यही कारण है कि लाखों लोग यहां पूजा करने आते हैं।
चार पुश्तों से पूजा करा रहे हैं पुजारी
खैरा दुर्गा मंदिर में रैयपुरा के आचार्य परिवार द्वारा दुर्गा मंदिर के निर्माण के समय से ही पूजा-पाठ करवाया जा रहा है। वर्तमान पुजारी प्रदीप आचार्य ने बताया कि प्रारंभ में उनके परदादा स्व. मणि आचार्य पूजा कराते थे। उनके निधन के बाद स्व. अंबिका आचार्य और बाद में उनके पिता स्व. चंद्रिका आचार्य मां दुर्गा की पूजा कराते थे।
हजारों बकरों की पड़ती है बलि
महाअष्टमी की रात्रि पूजन के बाद मां दुर्गा की निशा बलि होती है और महानवमी तक हजारों लोग बकरों की बलि चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि क्षेत्र के लोग मां दुर्गा को बलि देने का संकल्प लेते हैं और मन की मुरादें पुरी होने पर बलि चढ़ाते हैं।
कृषि मंत्री उठाते हैं पूजा का खर्च
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह की भी धार्मिक आस्था खैरा दुर्गा मंदिर से जुड़ी है। पिछले 25 वर्षो से वे दुर्गा मंदिर में पूजा के अवसर पर प्रतिमा निर्माण और पूजन का संपूर्ण खर्च का वहन करते आ रहे हैं।
तीन दिनों तक लगता है मेला
दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां तीन दिनों तक विशाल मेला लगता है। मेले में हजारों लोग एकत्रित होते हैं। मेला की देखरेख और साज-सज्जा एवं सजावट के लिए पूजा समिति है। जिसके अध्यक्ष खैरा के मुखिया शिवशंकर पासवान हैं। मेला समिति के सचिव अंतु रावत, उपसचिव महेश मंडल, कोषाध्यक्ष योगेन्द्र रावत, सदस्य महेश रावत, उपेन्द्र रावत, ललन मेहता सहित दर्जनों सदस्य मेले की निगरानी में लगे रहते हैं।
200 वर्ष पुराना है मंदिर
खैरा का दुर्गा मंदिर 200 वर्षो से अधिक पुराना है। इसका निर्माण स्व. राजा रावणेश्वर प्रसाद सिंह के पुत्र स्व. गुरुप्रसाद सिंह द्वारा कराया गया था। दुर्गा पूजा के अवसर पर हजारों लोग मध्य रात्रि से ही रानी तालाब में स्नान कर मां दुर्गा को दंडवत देती है।
मन्नतें पूरी होती है
खैरा के दुर्गा मंदिर के प्रति आस्था रखने वाले और भक्तिभाव से पूजन करने वालों की मन्नतें पूरी होती हैं। यही कारण है कि लाखों लोग यहां पूजा करने आते हैं।
चार पुश्तों से पूजा करा रहे हैं पुजारी
खैरा दुर्गा मंदिर में रैयपुरा के आचार्य परिवार द्वारा दुर्गा मंदिर के निर्माण के समय से ही पूजा-पाठ करवाया जा रहा है। वर्तमान पुजारी प्रदीप आचार्य ने बताया कि प्रारंभ में उनके परदादा स्व. मणि आचार्य पूजा कराते थे। उनके निधन के बाद स्व. अंबिका आचार्य और बाद में उनके पिता स्व. चंद्रिका आचार्य मां दुर्गा की पूजा कराते थे।
हजारों बकरों की पड़ती है बलि
महाअष्टमी की रात्रि पूजन के बाद मां दुर्गा की निशा बलि होती है और महानवमी तक हजारों लोग बकरों की बलि चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि क्षेत्र के लोग मां दुर्गा को बलि देने का संकल्प लेते हैं और मन की मुरादें पुरी होने पर बलि चढ़ाते हैं।
कृषि मंत्री उठाते हैं पूजा का खर्च
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह की भी धार्मिक आस्था खैरा दुर्गा मंदिर से जुड़ी है। पिछले 25 वर्षो से वे दुर्गा मंदिर में पूजा के अवसर पर प्रतिमा निर्माण और पूजन का संपूर्ण खर्च का वहन करते आ रहे हैं।
तीन दिनों तक लगता है मेला
दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां तीन दिनों तक विशाल मेला लगता है। मेले में हजारों लोग एकत्रित होते हैं। मेला की देखरेख और साज-सज्जा एवं सजावट के लिए पूजा समिति है। जिसके अध्यक्ष खैरा के मुखिया शिवशंकर पासवान हैं। मेला समिति के सचिव अंतु रावत, उपसचिव महेश मंडल, कोषाध्यक्ष योगेन्द्र रावत, सदस्य महेश रावत, उपेन्द्र रावत, ललन मेहता सहित दर्जनों सदस्य मेले की निगरानी में लगे रहते हैं।
Saturday 20 October 2012
60 वर्ष पुरानी है मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर
सिमुलतला : लोक आस्था और विश्वास की प्रतिमूर्ति सिमुलतला रेलवे
स्टेशन मैदान में अवस्थित है वैष्णवी मां दुर्गा का मंदिर। रेलकर्मी एवं
सिमुलतला क्षेत्रवासियों के संयुक्त तत्वावधान में माता दुर्गा का पूजा
अर्चना का रिवाज वर्षो से चला आ रहा है।
मंदिर की स्थापना और वास्तविकता का इतिहास
सिमुलतला रेलवे स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर पीबी महंत ने लगभग 60 वर्ष पूर्व रेलवे मैदान में वैष्णवी मां दुर्गा का मंदिर निर्माण कराया था। वार्षिक पूजा कार्यक्रम का वैदिक मंत्रोच्चारण से संपन्न कराने वाले वयोवृद्ध सेवानिवृत्त शिक्षक सह शास्त्री पुरूषोत्तम प्रसाद पांडेय बताते हैं कि लगभग 60 वर्ष पूर्व जानलेवा रोग से स्टेशन मास्टर ग्रसित हो गए। रोग इतना भयावह हो गया कि स्टेशन मास्टर खुद को मौत के करीब महसूस करने लगे। तभी उन्होंने दुर्गा पाठ सुनने की इच्छा जाहिर की। दुर्गा पाठ के लिए स्व. सुरेश प्रसाद पांडेय को बुलाया गया। विधि-विधान पूर्वक दुर्गा पाठ करने के उपरांत महंत बाबू भला चंगा हो गए। मां के आशीर्वाद से नया जीवन पाने वाले महंत बाबू ने सिमुलतला स्टेशन मैदान में मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर बनवाया जो बाद में रेल कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सहयोग से भव्य तरीके से आयोजित होने लगा। इस वर्ष बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के नामी कलाकारों के द्वारा पंडाल का अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सांस्कृतिक एवं विशेष आयोजन
महाष्टमी के दिन राज्य के नामी कलाकारों द्वारा जागरण का कार्यक्रम होता है। इसके अलावा क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा भक्ति संगीत का कार्यक्रम आयोजित होता है।
मंदिर का नामकरण व पृष्ठभूमि
यह मंदिर सिमुलतला रेलवे स्टेशन मैदान में है जिसके कारण स्थापना के साथ ही रेलवे दुर्गा मंदिर के नाम पर यह मंदिर प्रचलित होने लगा और बाद में इसी नाम का नामकरण कर दिया गया। माता के इस मंदिर में षष्ठी के दिन से पूजा-अर्चना प्रारंभ होती है एवं बेलभरनी पूजा इस मंदिर का विशेष रुप में क्षेत्र में चर्चित है।
मंदिर की स्थापना और वास्तविकता का इतिहास
सिमुलतला रेलवे स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर पीबी महंत ने लगभग 60 वर्ष पूर्व रेलवे मैदान में वैष्णवी मां दुर्गा का मंदिर निर्माण कराया था। वार्षिक पूजा कार्यक्रम का वैदिक मंत्रोच्चारण से संपन्न कराने वाले वयोवृद्ध सेवानिवृत्त शिक्षक सह शास्त्री पुरूषोत्तम प्रसाद पांडेय बताते हैं कि लगभग 60 वर्ष पूर्व जानलेवा रोग से स्टेशन मास्टर ग्रसित हो गए। रोग इतना भयावह हो गया कि स्टेशन मास्टर खुद को मौत के करीब महसूस करने लगे। तभी उन्होंने दुर्गा पाठ सुनने की इच्छा जाहिर की। दुर्गा पाठ के लिए स्व. सुरेश प्रसाद पांडेय को बुलाया गया। विधि-विधान पूर्वक दुर्गा पाठ करने के उपरांत महंत बाबू भला चंगा हो गए। मां के आशीर्वाद से नया जीवन पाने वाले महंत बाबू ने सिमुलतला स्टेशन मैदान में मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर बनवाया जो बाद में रेल कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सहयोग से भव्य तरीके से आयोजित होने लगा। इस वर्ष बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के नामी कलाकारों के द्वारा पंडाल का अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सांस्कृतिक एवं विशेष आयोजन
महाष्टमी के दिन राज्य के नामी कलाकारों द्वारा जागरण का कार्यक्रम होता है। इसके अलावा क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा भक्ति संगीत का कार्यक्रम आयोजित होता है।
मंदिर का नामकरण व पृष्ठभूमि
यह मंदिर सिमुलतला रेलवे स्टेशन मैदान में है जिसके कारण स्थापना के साथ ही रेलवे दुर्गा मंदिर के नाम पर यह मंदिर प्रचलित होने लगा और बाद में इसी नाम का नामकरण कर दिया गया। माता के इस मंदिर में षष्ठी के दिन से पूजा-अर्चना प्रारंभ होती है एवं बेलभरनी पूजा इस मंदिर का विशेष रुप में क्षेत्र में चर्चित है।
अटूट आस्था से जुड़ी है श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा मंदिर
झाझा : जिले का प्रमुख श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा मंदिर झाझा के
प्रति लोगों की अटूट आस्था है। सौ साल पुराने इस मंदिर के बारे में
मान्यता है कि जो भी व्मन्नत मांगते हैं निश्चित रुप से पूरी होती है। वर्ष
1962 में स्थानीय लोगों ने संगमरमर से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा मंदिर
में स्थापित किया था। मंदिर के पंडित दामोदर जी नवरात्र के अवसर पर कलश
स्थापना कर विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं जबकि बंगाल के पंडित
महाष्टमी को मां की प्राण प्रतिष्ठा करते हैं।
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा पूजा समिति के सदस्य बताते हैं कि वर्षो पूर्व जगत गुरु शंकराचार्य एवं आचार्य कृपाली द्वारा प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। उसी समय से स्थापित प्रतिमा में साक्षात मां दुर्गा वास करती है।
मुंगेर के कलाकार कर रहे प्रतिमा का निर्माण
मुंगेर के कलाकार महादेव पंडित मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। वहीं बंगाल एवं झारखंड राज्य के कलाकारों द्वारा भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। इसके अलावे पंडाल एवं मंदिर की लाइटिंग एवं फूलों के श्रृंगार की व्यवस्था झारखंड एवं बंगाल के मिस्त्री द्वारा अंतिम रुप दिया जा रहा है।
क्या है आकर्षण का केंद्र
मां वैष्णवी दुर्गा के भक्तों के लिए भगवान शंकर एवं गणेश द्वार के साथ-साथ विद्युत सज्जा एवं प्रथम बार मां का गर्व ग्रह में फूलों का श्रृंगार आकर्षण का केन्द्र है।
बंगाल के पंडित करते हैं प्राण-प्रतिष्ठा
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा मंदिर में नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना झाझा के दामोदर पंडित करते हैं जबकि महाष्टमी के दिन कोलकाता के प्रसिद्ध पंडित अखलेश्वर मुखर्जी मां की प्राण प्रतिष्ठा करते हैं।
यहां मुरादे होती है पूरी
झाझा शहर के मोती लाल गोयल एवं लक्ष्मण झा ने कहा कि वर्षो पूर्व मेरी स्थिति बहुत खराब थी। उसी समय मां से जुड़े और मेरा दिन बदलता चला गया। श्री झा ने बताया कि 1990 में मंदिर के समीप ही मुझ पर जानलेवा हमला हुआ था परंतु मां की कृपा से कुछ नहीं हुआ।
प्रसाद का वितरण एवं नित्यदिन जागरण
अष्टमी, नवमी एवं दशमी के दिन भक्तों को रोजाना अलग-अलग तरह के प्रसाद मिलेंगे। लगभग 400 दुर्गा रुपी कुमारी कन्याओं को भोजन कराया जाएगा। समिति के सचिव रामाकांत शर्मा ने बताया कि दुर्गा पूजा में नौ दिनों तक श्याम बाल मंडल द्वारा रात्रि जागरण किया जा रहा है।
मां की सेवा में लगे हैं ये लोग
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सह पूर्व विधान पार्षद डॉ. रविन्द्र यादव, उपाध्यक्ष प्रफुल्ल चन्द्र त्रिवेदी, सचिव रामाकांत शर्मा, कपिलदेव अग्रहरी, लक्ष्मण झा आदि कई कार्यकर्ता मां की सेवा में विगत 25 सालों से लगे हैं।
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा पूजा समिति के सदस्य बताते हैं कि वर्षो पूर्व जगत गुरु शंकराचार्य एवं आचार्य कृपाली द्वारा प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। उसी समय से स्थापित प्रतिमा में साक्षात मां दुर्गा वास करती है।
मुंगेर के कलाकार कर रहे प्रतिमा का निर्माण
मुंगेर के कलाकार महादेव पंडित मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। वहीं बंगाल एवं झारखंड राज्य के कलाकारों द्वारा भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। इसके अलावे पंडाल एवं मंदिर की लाइटिंग एवं फूलों के श्रृंगार की व्यवस्था झारखंड एवं बंगाल के मिस्त्री द्वारा अंतिम रुप दिया जा रहा है।
क्या है आकर्षण का केंद्र
मां वैष्णवी दुर्गा के भक्तों के लिए भगवान शंकर एवं गणेश द्वार के साथ-साथ विद्युत सज्जा एवं प्रथम बार मां का गर्व ग्रह में फूलों का श्रृंगार आकर्षण का केन्द्र है।
बंगाल के पंडित करते हैं प्राण-प्रतिष्ठा
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा मंदिर में नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना झाझा के दामोदर पंडित करते हैं जबकि महाष्टमी के दिन कोलकाता के प्रसिद्ध पंडित अखलेश्वर मुखर्जी मां की प्राण प्रतिष्ठा करते हैं।
यहां मुरादे होती है पूरी
झाझा शहर के मोती लाल गोयल एवं लक्ष्मण झा ने कहा कि वर्षो पूर्व मेरी स्थिति बहुत खराब थी। उसी समय मां से जुड़े और मेरा दिन बदलता चला गया। श्री झा ने बताया कि 1990 में मंदिर के समीप ही मुझ पर जानलेवा हमला हुआ था परंतु मां की कृपा से कुछ नहीं हुआ।
प्रसाद का वितरण एवं नित्यदिन जागरण
अष्टमी, नवमी एवं दशमी के दिन भक्तों को रोजाना अलग-अलग तरह के प्रसाद मिलेंगे। लगभग 400 दुर्गा रुपी कुमारी कन्याओं को भोजन कराया जाएगा। समिति के सचिव रामाकांत शर्मा ने बताया कि दुर्गा पूजा में नौ दिनों तक श्याम बाल मंडल द्वारा रात्रि जागरण किया जा रहा है।
मां की सेवा में लगे हैं ये लोग
श्रीश्री 108 वैष्णवी दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सह पूर्व विधान पार्षद डॉ. रविन्द्र यादव, उपाध्यक्ष प्रफुल्ल चन्द्र त्रिवेदी, सचिव रामाकांत शर्मा, कपिलदेव अग्रहरी, लक्ष्मण झा आदि कई कार्यकर्ता मां की सेवा में विगत 25 सालों से लगे हैं।
अति प्राचीन है बड़ी दुर्गा स्थान की पूजा
सिकन्दरा : सिकन्दरा स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर आस्था, अध्यात्म व
सामाजिक सद्भाव का एक ऐसा केन्द्र है जहां पिछले दस दशकों से अधिक वर्षो से
दुर्गा पूजा व प्रतिमा स्थापन का कार्य चलता रहा है। 1881 में मां के
आशीर्वाद से तत्कालीन थाना प्रभारी दसय राम केड़िवाल ने पुजारी शंकर दत्त
पांडेय के सहयोग से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना प्रारंभ करवाई।
इस मंदिर के निर्माण में रामभजन साह एवं सिंह भजन साह ने अपनी भूमि को दान
में दिया था। वहीं तत्कालीन थाना प्रभारी ने स्थानीय नागरिकों के सहयोग से
मंदिर का निर्माण करवाया था।
पौराणिक इतिहास है मंदिर का
अंग्रेजी हुकूमत के समय सिकन्दरा क्षेत्र पर गिद्धौर महाराजा का रियासत था। डेढ़ सौ वर्ष पुराना इस मंदिर के इतिहास को मंदिर के पुजारी रामस्वरुप मिश्रा बताते हैं कि उस समय जमुई-लखीसराय, शेखपुरा जिले को छोड़ सिर्फ सिकन्दरा में ही दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती थी। लंबे समय बाद जब सभी जगहों पर मां की प्रतिमा स्थापित किया जाने लगा तो इसका नाम बड़ी दुर्गा स्थान रख दिया गया।
शारदीय नवरात्र पर लगता है मेला
यहां प्राचीन समय से ही नवरात्र के मौके पर सप्तमी, अष्टमी, नवमी एवं दशमी को मेला का आयोजन होता है। इस मेले के दौरान मां का आशीर्वाद लेने भक्त दूर-दूर से आते हैं। भक्तों का सैलाब बड़ी दुर्गा स्थान के अलावे सिकन्दरा में स्थापित किए जाने वाली जगत जननी जगदम्बा मंदिर एवं मिशन चौक दुर्गा मंदिर व कुमार स्थित मां नेतुला मंदिर से जुटता है।
चारो तरफ से है रास्ता
बड़ी दुर्गा मंदिर सिकन्दरा बाजार के पश्चिमी छोर पर 300 मीटर दूरी पर अवस्थित है। यहां तक आने के लिए हर ओर से रास्ता है।
पांचवीं पीढ़ी बनवा रही है माता की मूर्ति
मंदिर स्थापना के साथ ही मूर्ति कलाकार के वंशज बीते डेढ़ सौ वर्षो से माता की मूर्ति बनाते आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के बाकुड़ा गांव निवासी मूर्तिकार राधे पंडित व उनके पुत्र अशोक पंडित बताते हैं कि उनकी पांचवीं पीढ़ी मां दुर्गा के निर्माण में लगी है। इस मंदिर का निर्माण चुना और मिट्टी एवं पक्की ईट से किया गया है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 22 फीट है। माता का दरबार भी सजता है।
पौराणिक इतिहास है मंदिर का
अंग्रेजी हुकूमत के समय सिकन्दरा क्षेत्र पर गिद्धौर महाराजा का रियासत था। डेढ़ सौ वर्ष पुराना इस मंदिर के इतिहास को मंदिर के पुजारी रामस्वरुप मिश्रा बताते हैं कि उस समय जमुई-लखीसराय, शेखपुरा जिले को छोड़ सिर्फ सिकन्दरा में ही दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती थी। लंबे समय बाद जब सभी जगहों पर मां की प्रतिमा स्थापित किया जाने लगा तो इसका नाम बड़ी दुर्गा स्थान रख दिया गया।
शारदीय नवरात्र पर लगता है मेला
यहां प्राचीन समय से ही नवरात्र के मौके पर सप्तमी, अष्टमी, नवमी एवं दशमी को मेला का आयोजन होता है। इस मेले के दौरान मां का आशीर्वाद लेने भक्त दूर-दूर से आते हैं। भक्तों का सैलाब बड़ी दुर्गा स्थान के अलावे सिकन्दरा में स्थापित किए जाने वाली जगत जननी जगदम्बा मंदिर एवं मिशन चौक दुर्गा मंदिर व कुमार स्थित मां नेतुला मंदिर से जुटता है।
चारो तरफ से है रास्ता
बड़ी दुर्गा मंदिर सिकन्दरा बाजार के पश्चिमी छोर पर 300 मीटर दूरी पर अवस्थित है। यहां तक आने के लिए हर ओर से रास्ता है।
पांचवीं पीढ़ी बनवा रही है माता की मूर्ति
मंदिर स्थापना के साथ ही मूर्ति कलाकार के वंशज बीते डेढ़ सौ वर्षो से माता की मूर्ति बनाते आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के बाकुड़ा गांव निवासी मूर्तिकार राधे पंडित व उनके पुत्र अशोक पंडित बताते हैं कि उनकी पांचवीं पीढ़ी मां दुर्गा के निर्माण में लगी है। इस मंदिर का निर्माण चुना और मिट्टी एवं पक्की ईट से किया गया है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 22 फीट है। माता का दरबार भी सजता है।
मां जगत जननी व कात्यायनी की हुई उपासना
जागरण प्रतिनिधि, जमुई : शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के पांचवां
स्वरुप जगतजननी एवं छठी शक्ति मां कात्यायनी की एक साथ पूजा-अर्चना हुई।
शनिवार को दोनों तिथि होने के कारण श्रद्धालुओं ने मां के दोनों रुपों की
पूजा-अर्चना की। कात्यायन ऋषि की पुत्री के रुप में जन्म लेने के कारण उनके
स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा। ऋषि के कठोर तप से देवी प्रसन्न हुई और उनके
घर पुत्री का जन्म हुआ। देवी का यह रुप पुत्र और मां की ममता का स्नेह का
प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि महिषासुर का वध करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु व
महेश ने अपने शक्तियों से देवी कात्यायनी को प्रकट किया था। पांचवां
स्वरुप जगत जननी मातृ गुणों से ओतप्रोत भक्तों को अभय, आयु एवं आशीष प्रदान
करने वाली है। माता का यह स्वरुप करुणा, दया, क्षमा एवं शीलता से युक्त
है। इनकी पूजा से स्कंद भगवान की पूजा स्वयं हो जाती है।
गिद्धौर में धमाल मचाने पहुंचा आन मासमी गु्रप
जागरण प्रतिनिधि, जमुई : आज रात गिद्धौर की ऐतिहासिक धरती पर कई
फिल्मी हस्ती संगीत व नृत्य का धमाल मचाएंगे। आन मासमी ग्रुप के बैनर तले
मुंबई व कोलकाता से आए कलाकार पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह की
स्मृति में भवन निर्माण मंत्री दामोदर रावत द्वारा सांस्कृतिक महोत्सव
कराने के प्रयास की कलाकारों ने सराहना की। फिल्म अभिनेत्री एकता वर्मा ने
कहा कि वैसे तो मैं बिहार में कई कार्यक्रम कर चुकी हूं पर जमुई में मेरा
पहला कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि संगीत के माध्यम से एकता को आगे बढ़ाने
जमुई आई हूं। बिहार के बदले परिवेश की सराहना करते हुए कहा कि मुंबई में
नीतीश कुमार के लोग फैन हैं। गायक जसपाल सिंह ने कहा कि दादा की धरती पर
उनके स्मृति में संगीत की समा बांध देंगे। पाश्र्र्व गायिका पायल मुखर्जी
ने कहा कि यहां के लोग संगीतप्रेमी हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपमें कला है
तो लोग आपकी कला का सम्मान करेंगे। उन्होंने कहा कि गिद्धौर एक ऐतिहासिक
स्थल है। भवन निर्माण मंत्री श्री रावत के प्रयास से हमलोग यहां पहुंचे
हैं।
गु्रप लीडर मासमी ने कहा कि लोग हमें बुलाते हैं यह हमारे लिए बड़ी बात है। बिहार की धरती पर हमने लगभग सारे फिल्मी हस्ती को उतारा है।
गु्रप लीडर मासमी ने कहा कि लोग हमें बुलाते हैं यह हमारे लिए बड़ी बात है। बिहार की धरती पर हमने लगभग सारे फिल्मी हस्ती को उतारा है।
Wednesday 17 October 2012
400 वर्ष पुराना है महेश्वरी का दुर्गा मंदिर
सोनो : असीम आस्था व अदभूत अलौकिक शक्ति का केन्द्र रहे महेश्वरी
दुर्गा मंदिर का इतिहास गांव के उद्भव काल से जुड़ा है। वीरता व जाबाजी के
लिए मशहूर इस गांव के पूर्वजों ने ही शक्ति की उपासना व आराधना के लिए
दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। गांव के बयोवृद्ध समाजसेवी दिलीप नारायण
सिंह बताते हैं कि महेश्वरी गांव का दुर्गा मंदिर संभवत: गिद्धौर दुर्गा
मंदिर से पहले का है। इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में की गई थी। उच्च
विद्यालय महेश्वरी के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक चन्द्रकांत पांडेय बताते
हैं कि उस इलाके में दुर्गा पूजा का आयोजन तब सिर्फ महेश्वरी में ही हुआ
करता था। दूर-दराज से मेला देखने आने वाले लोगों के लिए रात्रि विश्राम तथा
भोजनादि का प्रबंध गांव के जमींदार द्वारा किया जाता था।
400 वर्ष पुराना है मंदिर
महेश्वरी स्थित दुर्गा मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। प्रारंभिक काल में यह मंदिर झोपड़ीनूमा था। कालांतर में ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर को भव्य रुप दिया गया। पुरोहित पीताम्बर पांडेय बताते हैं कि यह मंदिर असीम विश्वास व सिद्धियों का केन्द्र है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है।
नवरात्र पर होता है विशेष आयोजन
दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक विशेष आयोजन किया जाता है। गांव के श्रद्धालु नर-नारी प्रात: व संध्या बेला में माता दुर्गा की महानारी व महा आरती में शामिल होते हैं तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
400 वर्ष पुराना है मंदिर
महेश्वरी स्थित दुर्गा मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। प्रारंभिक काल में यह मंदिर झोपड़ीनूमा था। कालांतर में ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर को भव्य रुप दिया गया। पुरोहित पीताम्बर पांडेय बताते हैं कि यह मंदिर असीम विश्वास व सिद्धियों का केन्द्र है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है।
नवरात्र पर होता है विशेष आयोजन
दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक विशेष आयोजन किया जाता है। गांव के श्रद्धालु नर-नारी प्रात: व संध्या बेला में माता दुर्गा की महानारी व महा आरती में शामिल होते हैं तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
Tuesday 16 October 2012
जर्मनी में प्रतिभा का लोहा मनवा रही गांव की बिटिया
संजय कुमार सिंह, जमुई:
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है.. गाने के बोल को साकार किया है लक्ष्मीपुर प्रखंड मटिया गांव निवासी डा. ओम प्रकाश की बेटी अंशु भारती ने। गांव की यह बिटिया विदेश तक जा पहुंची। ग्रामीण परिवेश में पलने बढ़ने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत व लगन के कारण आज वह भारत की आइटी सिटी बैंगलूर में स्विटजरलैंड की कंपनी स्वीसरी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और इसी कंपनी की ओर से वह प्रशिक्षण के लिए जर्मनी गई है। इतना ही नहीं आज इस ग्रामीण बाला को विदेशी कंपनियों की ओर से विदेश में कार्य करने के ढ़ेरो ऑफर आ रहे हैं। बकौल अंशु सात समुंदर पार रह कर वह अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों की सेवा नहीं कर सकती। साथ ही वह भारत में रहकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाकर अपने देश की सेवा करना चाहती है।
पढ़ाई से दूर रहा बचपन
अपने बचपन काल में अंशु किताब व कॉपियों से काफी दूर भागती थी। जिसे लेकर उसके माता-पिता काफी चिंतित रहते थे। परंतु उन्हें क्या पता था। उसी अंशु में विलक्षण प्रतिभा छुपी हुई है।
संघर्ष की दास्तान
वर्ष 2001 से शुरू हुई अंशु के संघर्ष की कहानी। मटिया स्थित चंद्रशेखर सिंह उच्च विद्यालय से हाईस्कूल तक की शिक्षा लेने के बाद वह राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ से उच्च शिक्षा प्राप्त कर आइएएस बनना चाहती थी। परंतु परिवार वाले अपनी चहेती बिटिया को पहली बार इतनी दूर भेजना नहीं चाहते थे। अंतत: उसका नामांकन पटना स्थित विश्वविद्यालय के महिला कालेज में करा दिया गया। उक्त कालेज में पढ़ाई का माध्यम पूर्णत: अंग्रेजी था। जिसका अनुसरण करना अंशु के लिए काफी कठिन था। साथ ही लड़कियों के निजी होस्टल में मेस के भोजन से अंशु का स्वास्थ्य बिगड़ गया। इन दोनों ही परिस्थितियों से घबरा कर अंशु के परिवार वाले उसे वापस गांव बुला लेना चाहते थे। परंतु उस बाला ने हार नहीं मानी। उसने अपनी प्रतिभा के बल पर जल्द ही कालेज प्रशासन को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। वह हिंदी भाषी बाला जल्द ही प्राचार्य सहित कई प्रध्यापिकाओं की चहेती बन गई।
क्यों बदला विचार
अंशु आइएसएस बनना चाहती थी परंतु उसे लगा कि शायद ग्रामीण परिवेश से आने के कारण उसके परिवार वाले उसे उसकी तैयारी हेतु अधिक समय नहीें दे सकेंगे। तब उसने अपना विचार बदल दिया और उक्त कालेज से डिग्री तक की शिक्षा लेने के बाद उसने नई दिल्ली स्थित जर्मन संस्थान मैक्स मुलर भवन से जर्मन भाषा का तीन वर्षीय कोर्स किया। जिस अंशु को कभी अंग्रेजी से घबराहट होती थी आज वह जर्मन सहित कई विदेशी भाषाओं को धड़ल्ले से बोलती है।
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है.. गाने के बोल को साकार किया है लक्ष्मीपुर प्रखंड मटिया गांव निवासी डा. ओम प्रकाश की बेटी अंशु भारती ने। गांव की यह बिटिया विदेश तक जा पहुंची। ग्रामीण परिवेश में पलने बढ़ने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत व लगन के कारण आज वह भारत की आइटी सिटी बैंगलूर में स्विटजरलैंड की कंपनी स्वीसरी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और इसी कंपनी की ओर से वह प्रशिक्षण के लिए जर्मनी गई है। इतना ही नहीं आज इस ग्रामीण बाला को विदेशी कंपनियों की ओर से विदेश में कार्य करने के ढ़ेरो ऑफर आ रहे हैं। बकौल अंशु सात समुंदर पार रह कर वह अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों की सेवा नहीं कर सकती। साथ ही वह भारत में रहकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाकर अपने देश की सेवा करना चाहती है।
पढ़ाई से दूर रहा बचपन
अपने बचपन काल में अंशु किताब व कॉपियों से काफी दूर भागती थी। जिसे लेकर उसके माता-पिता काफी चिंतित रहते थे। परंतु उन्हें क्या पता था। उसी अंशु में विलक्षण प्रतिभा छुपी हुई है।
संघर्ष की दास्तान
वर्ष 2001 से शुरू हुई अंशु के संघर्ष की कहानी। मटिया स्थित चंद्रशेखर सिंह उच्च विद्यालय से हाईस्कूल तक की शिक्षा लेने के बाद वह राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ से उच्च शिक्षा प्राप्त कर आइएएस बनना चाहती थी। परंतु परिवार वाले अपनी चहेती बिटिया को पहली बार इतनी दूर भेजना नहीं चाहते थे। अंतत: उसका नामांकन पटना स्थित विश्वविद्यालय के महिला कालेज में करा दिया गया। उक्त कालेज में पढ़ाई का माध्यम पूर्णत: अंग्रेजी था। जिसका अनुसरण करना अंशु के लिए काफी कठिन था। साथ ही लड़कियों के निजी होस्टल में मेस के भोजन से अंशु का स्वास्थ्य बिगड़ गया। इन दोनों ही परिस्थितियों से घबरा कर अंशु के परिवार वाले उसे वापस गांव बुला लेना चाहते थे। परंतु उस बाला ने हार नहीं मानी। उसने अपनी प्रतिभा के बल पर जल्द ही कालेज प्रशासन को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। वह हिंदी भाषी बाला जल्द ही प्राचार्य सहित कई प्रध्यापिकाओं की चहेती बन गई।
क्यों बदला विचार
अंशु आइएसएस बनना चाहती थी परंतु उसे लगा कि शायद ग्रामीण परिवेश से आने के कारण उसके परिवार वाले उसे उसकी तैयारी हेतु अधिक समय नहीें दे सकेंगे। तब उसने अपना विचार बदल दिया और उक्त कालेज से डिग्री तक की शिक्षा लेने के बाद उसने नई दिल्ली स्थित जर्मन संस्थान मैक्स मुलर भवन से जर्मन भाषा का तीन वर्षीय कोर्स किया। जिस अंशु को कभी अंग्रेजी से घबराहट होती थी आज वह जर्मन सहित कई विदेशी भाषाओं को धड़ल्ले से बोलती है।
शैलपुत्री की उपासना के साथ शुरु हुआ शारदीय नवरात्र
जागरण प्रतिनिधि,जमुई: शक्ति की देवी मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप
शैलपुत्री की उपासना के साथ मंगलवार को शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो गया।
सुबह से ही पूजा-पंडालों एवं घरों में कलश स्थापन कर श्रद्धालुओं ने पुजा
अचर्ना की। नवरात्र के प्रथम दिन होने के कारण दोपहर बाद तक पूजा-अर्चना
होती रही। कल्याणपुर मोहल्ले के विद्वान ब्राह्माण सुरेन्द्र पांडेय ने
बताया कि मां के प्रथम स्वरुप का ध्यान हमें दिव्य चेतना का बोध कराता है।
शैलराज की पुत्री होने के कारण मां का नाम शैलपुत्री पड़ा। राक्षसों की
समाप्ति के बाद जब सारे देवी-देवताओं ने पूछा कि मां आप कहां मिलेंगी तो
मां ने कहा कि प्रकृति में देखो और प्रवृति में अनुभव करो। मां का श्वेत
स्वरुप हमें पतित, कलुषित जीवन से मुक्ति प्रदान करते हुए पवित्र जीवन जीने
की कला सिखाता है। नवरात्र प्रारंभ होते ही चहूं ओर भक्तिमय माहौल छा गया
है। मंदिरों में बज रहे मां के गीतों की झनक से वातावरण झंकृत हो उठा है।
बाजार की रौनक भी खूब बढ़ गयी है। सुबह से पूजन सामग्री की दूकानों पर भीड़
रही तो दोपहर बाद लोगों ने परिधान और जूते चप्पल की खरीदारी की । संध्या
पहर पूजा पंडालों के अलावे कचहरी परिसर स्थित दूर्गा मंदिर में आरती की
गयी। सैकड़ो नर-नारी आरती में भाग लेकर मां से सर्वमंगल कामना की ।
Sunday 14 October 2012
मदुरई के मीनाक्षी मंदिर का होगा दर्शन
निज प्रतिनिधि, बरहट: इस वर्ष दुर्गा पूजा में तमिलनाडु के मदुरई शहर
स्थित विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर का दर्शन मलयपुर गांव में जिलेवासी
करेंगे। इसके लिए कारीगर व समिति सदस्य रात-दिन तैयारी में लगे हैं। बंगाल
से आए कारीगर भव्य पंडाल निर्माण कार्य में लगे हैं। जबकि डेकोरेशन का
जिम्मा चितरंजन से आए कारीगरों को सौंपी गई है। वहीं पंडाल के अनुरूप
लखीसराय जिले के नामी मुर्तिकार संजय पाडेय देवी प्रतिमा को जीवंत रूप देने
में व्यस्त हैं। भक्तों की सुविधा को देखते हुए मा दुर्गा के दर्शन के लिए
महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग प्रवेश व निकास द्वार बनाया गया है। साथ ही
सुरक्षा व्यवस्था की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। बताते चले कि 44 वर्षो
से मलयपुर गांव में मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है। वर्ष 1968 मे पहली
बार रेलवे ने ग्रामीणों के सहयोग दुर्गा पूजा आयोजन का शुभारंभ किया था।
जमुई रेलवे दुर्गा पूजा समिति के सचिव देवनीति सिंह बताते हैं कि करीब 65
फीट उंची पंडाल में बिस्कुट एवं लाल रंग के कपड़े से बीट पर काम किया जाएगा।
साथ ही पंडाल को मंदिर का रूप दिया जाएगा। वहीं समिति अध्यक्ष पंचानंद
सिंह एवं संचालक रंजीत कुमार ने भक्तों को हर सुविधा मुहैया कराने की बात
कही। यहां बता दें कि पिछले साल पुलिस प्रशासन ने इस पूजा समिति को
शांतिपूर्ण व्यवस्था को लेकर जिले में प्रथम स्थान दिया था तथा आयोजकों को
पूजा के उपरांत ट्राफी प्रदान किया गया था।
Saturday 13 October 2012
रोशनी व साफ-सफाई दुरुस्त करने पर सहमति
जागरण प्रतिनिधि, जमुई : शनिवार को स्थानीय अशोक नगर भवन में नगर
परिषद बोर्ड की बैठक अध्यक्ष जया कुमारी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में
त्योहार के मद्देनजर शहरी इलाके की साफ-सफाई को दुरुस्त करने का निर्णय
लिया गया। बैठक में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था, साफ-सफाई को दुरुस्त करने
का निर्णय लिया। इसके अलावे बोर्ड ने जिन योजनाओं की निविदा प्रक्रिया पूरी
कर ली है उसका क्रियान्वयन शुरू करने का निर्णय लिया। साथ ही साफ-सफाई में
उपयोग में आने वाले उपकरणों की खरीदारी पर सहमति जताई। बैठक में गठित
उपसमितियों का अनुमोदन सदस्यों ने सर्वसम्मति से किया। इसके अलावे वैसे
पोषक क्षेत्रों में अतिरिक्त आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने का प्रस्ताव देने के
लिए बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को निर्देशित किया जहां की संख्या में
बढ़ोतरी हुई है। बैठक में कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार मिश्रा, नप
उपाध्यक्ष अनिल कुमार साह, डॉ. अंजनी कुमार सिन्हा, सीडीपीओ तथा पीएचइडी के
सहायक अभियंता ने भाग लिया।
परिभ्रमण को छात्र-छात्राएं रवाना
निज प्रतिनिधि, सिमुलतला : शनिवार को मुख्यमंत्री परिभ्रमण यात्रा में
मध्य विद्यालय टेलवा बाजार एवं उमवि नावाडीह-घासीतरी के छात्र-छात्राएं
राजगीर, पावापुरी, नालंदा आदि ऐतिहासिक स्थलों के लिए रवाना हुए। बस को हरी
झंडी झाझा व्यापार मंडल समिति के अध्यक्ष श्रीकांत यादव एवं समाजसेवी
चन्द्रदेव यादव ने संयुक्त रुप से दिखाकर रवाना किया। अध्यक्ष ने
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप ऐतिहासिक स्थल को देख उसे
स्मरण में रखें ताकि आगे की पढ़ाई में मददगार साबित हो। इस अवसर पर प्रभारी
प्रधानाध्यापक दिनेश्वर यादव, आनंत यादव आदि उपस्थित थे।
इधर मध्य विद्यालय केवाल के 80 छात्र-छात्राओं को परिभ्रमण के लिए झारखंड राज्य के देवघर जिला ले जाया गया। बस को रवाना संकुल समन्वयक कमरुद्दीन ने हरी झंडी दिखाकर किया। उन्होंने बताया कि त्रिकुट, तपोवन, नौलखा, नंदन पहाड़ आदि स्थलों का अवलोकन कराया जाएगा। छात्रों के साथ विद्यालय के प्रभारी परमानंद यादव साथ गए।
बाक्स
स्कूल से बस रवाना नहीं करने पर जताई आपत्ति
सिमुलतला : बिना जानकारी एवं बाजार से ही छात्र-छात्राओं को बुलाकर परिभ्रमण को ले जाने से खुरंडा उमवि के अध्यक्ष राजकुमारी देवी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए विद्यालय प्रधान को अविलंब निलंबित करने की बात कही। श्रीमति देवी ने कही कि आखिर क्या परिस्थिति आ गई कि खुरंडा के प्रभारी प्रधानाध्यापक इंदु भूषण शर्मा शनिवार को विद्यालय के छात्र-छात्राओं को परिभ्रमण पर ले जाने के लिए विद्यालय परिसर से बस को रवाना नहीं किया। इस संबंध में बीइओ झाझा नसीम अहमद ने कहा कि छात्र-छात्राएं मंदार परिभ्रमण को गए हैं अगर प्रभारी के द्वारा इसकी जानकारी विद्यालय के अध्यक्ष एवं अभिभावक को नहीं दी गई है तो यह बात गलत है। इसकी जांच की जाएगी।
इधर मध्य विद्यालय केवाल के 80 छात्र-छात्राओं को परिभ्रमण के लिए झारखंड राज्य के देवघर जिला ले जाया गया। बस को रवाना संकुल समन्वयक कमरुद्दीन ने हरी झंडी दिखाकर किया। उन्होंने बताया कि त्रिकुट, तपोवन, नौलखा, नंदन पहाड़ आदि स्थलों का अवलोकन कराया जाएगा। छात्रों के साथ विद्यालय के प्रभारी परमानंद यादव साथ गए।
बाक्स
स्कूल से बस रवाना नहीं करने पर जताई आपत्ति
सिमुलतला : बिना जानकारी एवं बाजार से ही छात्र-छात्राओं को बुलाकर परिभ्रमण को ले जाने से खुरंडा उमवि के अध्यक्ष राजकुमारी देवी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए विद्यालय प्रधान को अविलंब निलंबित करने की बात कही। श्रीमति देवी ने कही कि आखिर क्या परिस्थिति आ गई कि खुरंडा के प्रभारी प्रधानाध्यापक इंदु भूषण शर्मा शनिवार को विद्यालय के छात्र-छात्राओं को परिभ्रमण पर ले जाने के लिए विद्यालय परिसर से बस को रवाना नहीं किया। इस संबंध में बीइओ झाझा नसीम अहमद ने कहा कि छात्र-छात्राएं मंदार परिभ्रमण को गए हैं अगर प्रभारी के द्वारा इसकी जानकारी विद्यालय के अध्यक्ष एवं अभिभावक को नहीं दी गई है तो यह बात गलत है। इसकी जांच की जाएगी।
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