Sunday 27 May 2012

अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जमुई की नदियां


जमुई/बरहट, जागरण प्रतिनिधि : पहाड़ की तलहटियों से कलकल बहती पहाड़ी नदियां इस जिले की मनोरम छटा को सुंदरता प्रदान कर रही है। कुछ नदियों का उद्भव स्थल इस जिले से हुआ तो कई प्रमुख नदियां जमुई जिले से होकर गुजरी है। मुख्य रुप से इस जिले में 10 नदियां बहती हैं। जो शहरी सहित ग्रामीण इलाकों की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। जिले के चकाई प्रखंड से बहने वाली अजय नदी संयुक्त बिहार के बड़े नदियों में शुमार थी। जिसका उद्भव स्थानीय सरौन से हुआ जो झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल में पहुंच गंगा में मिल जाती है। इस नदी की चर्चा महाभारत ग्रंथ में भी मिलता है। अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी यह नदी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस नदी पर गम्हरिया गांव के पास एक बांध का निर्माण हुआ है। जिसमें दस लाख मूल्य के मछली उत्पादन तथा दो हजार हेक्टेयर खेतों में सिंचाई होती है। इसी प्रखंड के पतरो व डढ़वा नदी का उदभह चतरो एवं नावाडीह सिल्फरी पंचायत है। इन नदियों से भी किसानों को सिंचाई हेतु पानी मिलता है तो विभाग को बालू से राजस्व की प्राप्ति होती है। जिले की दूसरी सबसे बड़ी नदी किउल नदी को जिला का जीवन रेखा माना जाता है। यह नदी गढ़ी से होकर जमुई शहर मलयपुर, कुंदर होते हुए पड़ोसी जिला लखीसराय पहुंच गंगा में समाहित हो जाती है। किउल नदी के पत्‍‌नेश्वर नाथ मंदिर के समीप बिहार दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने कैवल्य धाम तीर्थ की स्थापना की है। साथ ही ग्यारह फीट भगवान महावीर का प्रतिमा स्थापित किया। माना जाता है कि जैन आगम व प्राचीन शास्त्रों में वर्णित भौगोलिक वर्णन के आधार पर आधुनिक विद्वानों ने किउल नदी को ऋजुकूला नदी प्रमाणित किया है।
खैरा प्रखंड से निकलने वाली भारोटोली नदी रोपाबेल गांव के पास जाकर किउल नदी में मिल जाती है। इस नदी से आधे दर्जन गांव की आबादी लाभान्वित होती है। जबकि बुनबुनी नदी प्रखंड के पूर्वी भाग के उमंतरी गांव के पास किउल नदी में मिल जाती है। सोनो प्रखंड से गुजरने वाली दो प्रमुख नदियां यथा बरनार और सुखनर क्षेत्रीय अर्थ व्यवस्था को संबल प्रदान करती है। बरनार नदी से लगभग पांच दर्जन गांव के किसान सिंचाई कर पाते हैं जिस कारण इन क्षेत्रों में रबी फसल की पैदावार किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का श्रोत बना है। सुखनर नदी भी इन क्षेत्र के लोगों को अति संबलता प्रदान करता है। गिद्धौर से गुजरने वाली उलाई नदी अपनी गर्व में कई पौराणिक कथाएं छिपा रखी है। जैनागमों में चर्चित पवित्र उच्जुबालिया नदी (वर्तमान में उलई नदी) तथा नागी नदी के संगम पर गिद्धौर के तत्कालीन राजा ने दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। जैनागमों में आए वर्णन के अनुसार इस संगम में स्नान करने के उपरांत हरिवंश पुराण का श्रवण करने से नि:संतान दंपत्तियों को पुत्र की प्राप्ति होती है।
बाक्स
किउल नदी जमुई की लाइफ लाइन
जमुई :यूं तो जिले में छोटी-बड़ी कुल दस नदियां बहती हैं पर किउल का स्थान अन्य नदियों की तुलना में महत्वपूर्ण है। खेती की रीढ़ किउल नदी राजस्व उगाही के मामले में भी अव्वल है। किउल नदी पर बने अपर किउल जलाशय योजना से 15 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है। इस जलाशय योजना से लाभान्वित लखीसराय जिले के किसान भी होते हैं। वहीं हर साल बालू घाटों के बंदोवस्ती कर राजस्व उगाही के मामले में किउल नदी की भागीदारी सबसे अधिक है। इस वर्ष पांच करोड़ में नदियों की बंदोवस्ती की गई है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक व ट्रैक्टर पर बालू का उठाव होता है लिहाजा सैकड़ों मजदूरों को रोजगार भी मिलता है। साथ ही वाहनों की भीड़ से होटल व्यवसाय व परिवहन विभाग के राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
बाक्स
जिले की प्रमुख नदियां
किउल, अजय, आंजन, उलाई, भारोडोरी, पतरो, डढ़वा, बरनार, सुखनर और बुनबुनी

No comments:

Post a Comment