Saturday 20 October 2012

मां जगत जननी व कात्यायनी की हुई उपासना


जागरण प्रतिनिधि, जमुई : शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के पांचवां स्वरुप जगतजननी एवं छठी शक्ति मां कात्यायनी की एक साथ पूजा-अर्चना हुई। शनिवार को दोनों तिथि होने के कारण श्रद्धालुओं ने मां के दोनों रुपों की पूजा-अर्चना की। कात्यायन ऋषि की पुत्री के रुप में जन्म लेने के कारण उनके स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा। ऋषि के कठोर तप से देवी प्रसन्न हुई और उनके घर पुत्री का जन्म हुआ। देवी का यह रुप पुत्र और मां की ममता का स्नेह का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि महिषासुर का वध करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने अपने शक्तियों से देवी कात्यायनी को प्रकट किया था। पांचवां स्वरुप जगत जननी मातृ गुणों से ओतप्रोत भक्तों को अभय, आयु एवं आशीष प्रदान करने वाली है। माता का यह स्वरुप करुणा, दया, क्षमा एवं शीलता से युक्त है। इनकी पूजा से स्कंद भगवान की पूजा स्वयं हो जाती है। 

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