Wednesday 25 April 2012

20 वर्षो का सफर, दर्जनों गांवों में आई हरियाली


जमुई : जमुई जैसे पठारी इलाके में अमूमन मार्च-अप्रैल में नदी, आहर, तालाब एवं कूएं सूखने लगते हैं। इस विपरीत परिस्थिति में एक ऐसा शख्स जिसने लगभग 10 हजार की आबादी के लिए जल संचयन कर लोगों की जिंदगी में हरियाली ला दी। 20 वर्षो के सफर में परिवार विकास के भावानंद जी ने बरहट व गिद्धौर प्रखंड के दर्जनों गांव में आहर, तालाब, कुआं का निर्माण कराया। इसके अलावे जल संचयन के इन स्थानों पर लगभग 10 हजार पेड़ लगाए और गांवों में हरियाली आ गई। जल संरक्षण का बेहतर मिसाल शायद ही जमुई में किसी ने पेश किया है।
1991 में शुरू हुआ जल संरक्षण का कार्य
समाजसेवी भावानंद ने 1991 में बरहट प्रखंड के गुगुलडीह अंतर्गत चन्द्रशेखर नगर में तीन आहर, दो तालाब व दो हजार पेड़ लगाकर जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य शुरू किया। बाद में गिद्धौर प्रखंड के कुरिल्ला में एक तालाब व आहर, छेदलाही में एक तालाब व लेंगड़ी मोड़ में तीन आहर का निर्माण कराया। इसके अलावे पांच हजार पेड़ कुरिल्ला में, जलगोड़वा व लंगड़ीमोह में लगवाए।
10 गांवों में किया 40 कुओं का निर्माण
भावानंद की मानें तो पहले मार्च महीने में ही गांवों के कुएं सूख जाते थे। गुगुलडीह, चन्द्रशेखर नगर, कुरील्ला, जलगोड़वा, पांडेयठीका, छेदलाही, सुंदरीमोड़, लैंगड़ीमोड़, पीराटांड़ व गोरवाकुरा गांव में 40 कुआं का निर्माण कराया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि इस इलाके में किसान किसी तरह फसल उपजाते थे। अब धान, गेहूं, दलहन, मकई और ईख की खेती कर रहे हैं। पांच हजार की आबादी कुआं का पानी पीती है। 1000 एकड़ जमीन भूमि सिंचित करने की गारंटी है। इस इलाके के लोग गर्मी के दिनों में मवेशियों को फरकिया ले जाते थे। परंतु पानी की समस्या खत्म होते ही मवेशी इलाके में ही रहते हैं।

कैप्शन- पेड़ लगाते भावानंद
14 एकड़ जमीन में लगाया अर्जुन और आसन का पेड़
समाजसेवी भावानंद ने बताया कि छेदलाही गांव में आहर के किनारे अर्जुन और आसन का पेड़ लगाया है। इस पर तसर का कीड़ा भी पलता है। जल स्तर बढ़ने के साथ किसानों के आर्थिक स्तर को बढ़ाने के लिए भी काम शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि आगे भी पंचायत, कपार्ट व सरकार से मिलकर जल संरक्षण का कार्य जारी रहेगा। 

No comments:

Post a Comment