Tuesday 24 July 2012

अपने सैनिकों के हाथों ही मारे गए नोल ढेंगा


निज प्रतिनिधि, (जमुई) सिमुलतला : अपने आस्तित्व को बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रहा है सिमुलतला का नोल ढेंगा राजबाड़ी। कभी सैलानियों का पसंदीदा स्थल होता था राजबाड़ी लेकिन चंद चोरों के कारगुजारी के कारण यह ऐतिहासिक महल अपनी अंतिम गिनती का इंतजार कर रहा है। बंगला के दर्जनों फिल्म की शूटिंग इस महल में हुआ है। जिसमें मुख्य रुप से दादाकीर्ति, भालोवासा , ओरा चार जोन, पोदभूला आदि। स्थानीय लोगों की मानें तो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश भक्तों की गुप्त बैठकों का स्थल भी रहा है यह महल। बंगला देशी राजा नोल ढेंगा कभी आनंद बिहार के लिए यह महल बनवाया था। चारो ओर ऊंची-ऊंची चहारदिवारी से घिरा इस महल में घोड़े, हाथी के रहने के लिए अलग-अलग घर बना है। वहीं महल के अंदर साइड में रसोईया अन्य प्रसाधन के घर भी बने हैं। महल के पूर्व व पश्चिम दिशा में बनी सीढि़यां इस महल को और चार चांद लगाता था लेकिन महल में लगे इंगलैंड के लोहा का बीम ही इस महल के काल के रुप में इसकी लीला समाप्त करने की गाथा लिखी। इस बीम पर क्षेत्र के चोरों की नजर लग गई और फिर क्या देखते-देखते यह महल खंडर में तब्दील हो गया। इसके बाद महल कम भूत बंगला च्यादा नजर आने लगा। वयोवृद्ध एवं सेवा निवृत्त शिक्षक लाल बहादुर सिंह बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से भी च्यादा नोल ढेंगा राजबाड़ी का निर्माण अवधि है। स्वतंत्रता संग्राम में बांका जिले के हीरायडीह के स्वतंत्रता सेनानी बाबू लाल सिंह, हकीम सिंह, छोटे लाल सिंह के अलावा देश के नामी गिरामी स्वतंत्रता सेनानी इस राजबाड़ी में देश की स्वतंत्रता हेतु 1947 से पूर्व गोपनीय बैठक किया करते थे। राजा के मृत्यु के संदर्भ में श्री सिंह बताते हैं कि राजा अपने सैनिक के हाथ से ही मारे गए। क्योंकि राजा फरमान था कि अगर तीन आवाज देने के उपरांत सामने वाला आवाज न दे तो आप गोली चला दीजिए। इसी बीच राजा कहीं से आ रहे थे। महल में प्रवेश करने के दौरान सैनिकों ने तीन बार रूकने का आवाज दिया परंतु राजा ने कोई जवाब नहीं दिया । सैनिकों ने दुश्मन समझकर गोली चा दी और इसी तीन आवाज के चक्कर में राजा की मौत हो गई।  

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