Wednesday 20 April 2016

पद्मश्री मालिनी अवस्थी के लोकगीत पर झूमे जमुई वासियों के लोग

 
मालिनी अवस्थी द्वारा प्रस्तुत लोकगीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया। उनके द्वारा पेश चैती, पूर्वी, कजरी, सौहर और भोजपुरी गीतों ने ऐसा समां बांधा कि लोग फिल्मी गीतों के प्रभाव से मुक्त होते दिखे। मालिनी अवस्थी ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत चैती गीत से किया और समापन भोजपुरी गीत से किया। मालिनी अवस्थी द्वारा पेश सभी गीत सामाजिक संदेश से ओत-प्रोत था। उनके द्वारा प्रस्तुत 'बारह बरस की मैं ब्याह की आई, साइंया चले पइयां-पइयां ..' जहां बाल और बेमेल विवाह पर प्रहार था वहीं उनके द्वारा पेश सौहर 'ललना बड़ा होके देशवा के काम आई हा..' गीत में देश भक्ति की भावनाएं हिलोरे ले रही थी। 'केहु जाला हाजीपुर, केहु जाला पटना, ससुर जाला हाजीपुर, देवर जाला पटना, सइयां जाला कलकतवा, ला के देही मांग की सुंदुरवा..' जैसे गीत प्रेम रस का रसास्वादन करा रहे थे जबकि 'भवानी दायिनी हो माई, चैत शुभ दिनमा आई..' और 'तेरी सरकार है आली.. ' जैसे भक्तिरस के गीतों ने भी लोगों को भक्तिभाव में डूबो दिया। इससे पूर्व बिहार गौरव और बिहार रत्‍‌न से अलंकृत संगीतज्ञ सत्येन्द्र कुमार संगीत ने भगवान महावीर से संबंधित गीत और बिहार गौरव गान को पेश कर कार्यक्रम को भव्यता और प्रासंगिकता प्रदान की। सत्येन्द्र कुमार संगीत द्वारा पेश 'भगवान महावीर फिर से लछुआड़ आ जा, छाल वृक्ष के नीचे बैठ ज्ञान सीखा जा, सत्य अहिंसा, प्रेम और करुणा का दीप जला जा..' तथा 'जैन धर्म महावीर चलाए लिए लछुआड़ में अवतार, ये है मेरा बिहार ..'  की समसामयिक प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा। बाबू बिहारी द्वारा पेश भोजपुरी गीत, रंजीत कुमार द्वारा पेश विद्यापति गीत और मिंटू द्वारा पेश चैती गीत भी दर्शकों को काफी भाया। संपूर्ण कार्यक्रम का रोचक ढंग से संचालन करते हुए प्रसिद्ध उद्घोषक शंकर केमुरी ने न केवल दर्शकों का भरपुर मनोरंजन किया बल्कि प्रारंभ से अंत तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का समां बांधे रखा। कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को जिला प्रशासन की ओर से बुके, शॉल और मोमेंटो देकर जिलाधिकारी डॉ. कौशल किशोर, उपविकास आयुक्त सतीश शर्मा, अपर समाहर्ता चौधरी अनंत नारायण ने सम्मानित किया। 

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