Wednesday 20 April 2016

खतरनाक हो गये भूखमरी के शिकार आवारा कुत्ते

 अभी तो जमुई शहरी तौर-तरीके भी नहीं सीख पाया है। इसे तो जिला बनने के बाद भी नगर परिषद का स्वरुप देने का प्राथमिक प्रयास ही चल रहा है, तो भला आवारा कुत्तों का क्या ये तो आवारा हैं। शहर में चौक-चौराहे सड़कों पर विचरते रंग-बिरंगे तरह-तरह की वेराइटी के येआवारा कुत्ते भूख लगने पर पता नहीं कब चलते-फिरते आदमी को नोच लेंगे। अस्पताल के आसपास अथवा नदी के किनारे लावारिश आदमी और जानवर की लाशों को मरी की शक्ल में नोचते ये आवारा कुत्ते इतने खतरनाक हो चुके हैं कि जमुई से सटे किउल नदी के पार बसे दर्जनों गांवों में रहने वाले हजारों की आबादी को हर दिन आने-जाने के दौरान कुत्ता काटने का खतरा बना रहता है। जमुई में कुत्ते के काटने की कई घटनाओं के बाद रेवीज के वैक्सिन के लिए अक्सर लोग अस्पताल का सहारा लेते हैं। जमुई में आवारा कुत्तों के काटने का ही खतरा नहीं है यहां पता नहीं कब ये कुत्ते आपके गाड़ी के पहिए के नीचे आ जाए और फिर अस्पताल पहुंचकर आपका पांच-छह महीने का इंतजाम हो सकता है। सबसे दुर्गति मोटरसाइकिल सवार दोपहिया वाहन चालकों की है। जिसके सामने कुत्ता आया और फिर बचने की कोई गुंजाइस नहीं है। ऐसी दर्जनों घटनाओं में लोगों को अंग-भंग के बाद इलाज के दौरान लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। प्रभारी सिविल सर्जन डा. नौशाद ने बताया कि जमुई अस्पताल में रेवीज के वैक्सिन की कोई कमी नहीं है और जरुरत पड़ने पर यह लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध है। उधर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुभाष कुमार ने पूछने पर बताया कि जमुई में अभी आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई योजना संचालित नहीं है और न ही कोई आदेश प्राप्त हुआ है। 

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