Thursday 3 November 2016

यहा मुस्लिम करते छठ, तो हिन्दू उठाते तजिया




जमुई। आस्था सिर्फ आस्था है। इसे किसी धर्म या संप्रदाय के चश्मे से नहीं देखा जा सकता है। किसी भी समुदाय के लोगों की किसी पर्व में आस्था हो सकती है। इसे साबित किया है मलयपुर गाव के ग्रामीणों ने। दशकों से इस गाव में जहा हिन्दू-मुस्लिम के पर्व में हिस्सा लेते हैं, वहीं मुस्लिम, हिन्दुओं के पर्व में। मुहर्रम का तजिया हिन्दू के कंधे पर तो मुस्लिम समुदाय के लोगों को महापर्व छठ करते देखा जा सकता है। यह रीत वषरें से इस गाव में चली आ रही है तभी तो सामुदायिक तनाव से यह गाव कोसों दूर रहा है। मलयपुर गाव के बस्ती स्थित फकीर टोला में आज भक्तिमय माहौल है। लोग अपने-अपने घरों व रास्तों की सफाई में जुटे हैं। हाथों में झाड़ू पकड़े लोग सफाई में लगे हैं। चेहरे पर भक्ति के भाव हैं। घरों से छठ मईया के गीतों की आवाजें आ रही हैं। इस टोले के मो. तस्लीम, मो. ताहीर, मो. शमशूल शाह, मो. मुमताज, मो. सलीम, मो. हैदर, बुधू शाह, मो. शाहीद आदि छठ पर्व करते हैं। इनकी मागी मन्नतें छठ मा ने पूरी की है। ये बताते हैं कि वर्षो से गछती के अनुरूप छठ पूजा करते हैं। टोले के कई और परिवार भी छठ करते हैं। मलयपुर स्थित मुस्लिम टोला में भी साफ-सफाई चल रही है। लोगों में छठ को लेकर विशेष श्रद्धा है। फकीर टोला निवासी मो. तसलीम बताते हैं कि लगभग 28 वर्ष पूर्व उनकी मा सुफेदा खातून ने छठ पर्व करना प्रारंभ किया था। उनकी कोई मन्नत पूरी हुई थी। करीब 18 वर्ष पूर्व मा ने उसकी नौकरी की मन्नत मागी और दूसरे साल ही उसे नौकरी मिल गई। तब से वो भी छठ करने लगे। अब लाचारी के कारण पिछले वर्ष से बनियारी (दूसरे के घर से पूजा करवाना) शुरू किया है। मगर घर में छठ पर्व के नियमों का सख्ती से पालन होता है। फकीर टोला निवासी मो. ताहीर, शमशूल आदि ने बताया कि कई अन्य घरों में भी छठ पर्व होता है। अधिकाश लोग बनियारी करवाते हैं। उन्होंने बताया कि जितना आस्था उन्हें अपने धर्म में है उतना ही छठ मईया में भी। नेक व निष्ठा के पर्व को नियमानुसार मनाया जाता है। यह तो बानगी भर है। यकीन मानिए वर्तमान परिवेश में मलयपुर गाव आदर्श प्रस्तुत कर रहा है। यहा मुहर्रम के तजिया के साज-सज्जा के लिए हिन्दू चंदा देते हैं। तजिया को कंघे पर उठाते हैं। मुहर्रम जुलूस में शामिल होते है और करतब भी दिखाते हैं तो मुस्लिम समुदाय भी हर हिन्दू पर्व का हिस्सा बनते हैं। सच मानिए इस गाव में पर्व का मतलब प्रेम, भाईचारा और सिर्फ पर्व होता है। - See more at: http://www.jagran.com/bihar/jamui-14976402.html#sthash.yl3MD2bn.dpuf

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