Sunday 27 January 2013

नक्सलियों के निशाने पर रहा बादिलडीह पुल




निज प्रतिनिधि, खैरा : दो राज्यों को जोड़ने वाला बादिलडीह पुल नक्सलियों और अपराधी दोनों के निशाने पर रहा है। कभी नक्सली तो कभी अपराधी इस पुल के निर्माण में बाधा बनते रहे। परिणामत: दो राज्य और तीन जिलों के लोगों का सतत प्रयास विफल होता रहा। छह करोड़ की लागत से खैरा प्रखंड अंतर्गत किउल नदी के बादिलडीह घाट पर पुल झारखंड को जोड़ने वाला है। इससे झारखंड का गिरीडीह जिला और बिहार का जमुई व नवादा जिला जुड़ जाएगा। बल्कि इसके निर्माण से तीनों जिलों के सुदूर पहाड़ी जंगली और नक्सल क्षेत्रों का आवागमन भी सुलभ हो जाएगा। परंतु अपराधी और नक्सली दोनों इसमें रोड़ा बन रहे हैं। इस पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 21 फरवरी 2006 को किया था। निर्माण प्रारंभ होने के कुछ दिनों बाद ही नक्सली वहां आ धमके तथा लेवी की मांग की थी। लेवी नहीं देने पर कार्य बंद करवा दिया था। संवेदक द्वारा किसी तरह फिर कार्य प्रारंभ करवाया गया। एक साल बाद यहां स्थानीय अपराधी आ धमके और निर्माण कार्य में लगे कर्मचारियों के साथ मारपीट की और काम बंद करवा दिया। बाद में एक स्थानीय अपराधी गिरोह से लेन-देन कर कार्य प्रारंभ हुआ तो पुन: नक्सलियों ने आकर कार्य बंद करवा दिया। कार्य प्रारंभ होने पर 26 जून 09 को पुन: निर्माण कार्य में लगे तीन कर्मचारी अरविंद साव, विपिन साव और अशोक सिंह का अपहरण कर लिया गया। जिसे पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद खैरा के पास से छुड़वाया। संवेदक द्वारा कथित नक्सलियों से वार्ता कर 2010 में पुन: कार्य प्रारंभ कराया गया परंतु पुन: नक्सली पहुंचे और लेवी की मांग की तो संवेदक द्वारा लेवी देने की बात कही तो नक्सलियों ने रसीद दिखाने को कहा जो नहीं था। दरियाप्त करने पर पता चला कि नक्सली के नाम पर स्थानीय अपराधियों ने लेवी वसूल ली है। परिणामत: कार्य पुन: बंद करा दिया गया और तब से कार्य बंद था। इस बीच जमुई और नवादा जिले तथा झारखंड के गिरीडीह जिले के सैकड़ों लोग पुल निर्माण कार्य के लिए धरना और प्रदर्शन करते रहे और उनके प्रयास से जब गत 28 नवम्बर को पुल निर्माण निगम द्वारा मुंगेर के विकास सिंह और सज्जन सिंह को पेटी कांट्रेक्ट देकर काम प्रारंभ करवाया गया तो बीती रात आठ मजदूरों का अपहरण कर नक्सलियों ने इसके निर्माण को पुन: अधर में लटका दिया।
बाक्स
कब-कब घटी घटनाएं
खैरा : जमुई जिले में सर्वप्रथम खैरा से ही नक्सलियों ने 1998 में घटना घटित कर अपनी उपस्थिति का एहसास कराया और तब से आज तक खैरा न केवल नक्सलियों का शरणस्थली बना है बल्कि समय-समय पर घटनाओं को भी अंजाम दिया जाता रहा है।
-1998 में खैरा थाना के दीपा करहर में बारुदी सुरंग विस्फोट कर एक पेट्रोलिंग मजिस्ट्रेट सहित दो लोगों की हत्या कर दी तथा तीन जवानों को बंदुकें लूट ली गई।
-जुलाई 2003 में खैरा थाना के आधा दर्जन गांव से 10 लोगों की बंदूकें लूट ली गई।
-9 अगस्त 2003 में हड़खार के मुखिया गोपाल साव सहित तीन लोगों की गला रेतकर हत्या।
-10 अगस्त 2003 डीएम एसपी के काफिले पर हमला कर एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या की गई और पांच सरकारी वाहनों में आग लगाई गई।
-चार जून 2007 को नक्सलियों ने गढ़ी स्थित सिंचाई विभाग के निरीक्षण भवन को उड़ाया।
-9 फरवरी 09 खैरा-कौवाकोल की सीमा पर स्थित महुलियाटांड़ में रैदास जयंती समारोह के दौरान दस सैप के जवानों को मार डाला और उनके हथियार लूट लिए।
-7 दिसंबर 11- खैरा के पकरी गांव में पुल निर्माण के आठ कर्मियों का अपहरण
-22 मार्च 12 - खैरा प्रखंड कार्यालय को उड़ाया
-19 सितंबर 12 -गिद्धेश्वर में पुलिस पार्टी पर हमला एक पुलिस अधिकारी शहीद, दो पुलिसकर्मी घायल
26 जनवरी 13- बादिलडीह से आठ मजदूरों का अपहरण

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